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________________ जैन चरित काव्य : उद्भव एवं विकास ऐतिहासिक जानकारी प्राप्त होती है। काव्य वीर रस प्रधान है । रचयिता रचनाकाल I 1 महिपालचरित तथा कुमारपालचरित के रचयिता चारित्रसुन्दरगणि हैं । ये भट्टारक रत्नसिंह सूरि के शिष्य थे । रत्नसिंहसूरि सत्तपोगच्छ के आचार्य थे । कुमारपाल चरित का रचनाकाल १४३० ई० के आसपास है । अतः इसी के आसपास महीपालचरित की भी रचना की होगी । विक्रमचरित : (रामचन्द्र ) ८५. इस चरितकाव्य में राजा विक्रमादित्य का चरित्र निबद्ध किया गया है। इसमें प्रधानतया विक्रमादित्य राजा द्वारा प्राप्त पंचदण्डछत्र की घटना का वर्णन है । इसे पंचदण्डकथात्मक विक्रमचरित्र भी कहते हैं । प्रो० वेबर ने इस नाम से जर्मनी भाषा में प्रस्तावना के रोमनलिपि में बर्लिन से १८७७ ई० में छपाया भी था । रचयिता : रचनाकाल २९ विक्रमचरित काव्य के रचयिता रामचन्द्र हैं जो साधुपूर्णिमागच्छ के अभयचन्द्र के शिष्य थे । विक्रमचरित की रचना वि० सं० १४९० (१४३३ ई०) में की थी । I ८६. पृथ्वीचन्द्रचरित : ( जयसागर गणि) पृथवीचन्द्रचरित में राजर्षि पृथवीचन्द्र का वर्णन है । इनकी गणना प्रत्येकबुद्धों में की गई है । ये किसी के उपदेश दिये बिना ही सम्यक्दर्शन के प्रभाव से केवलज्ञान पाकर मुक्त हो गये थे । रचयिता : रचनाकाल पृथ्वीचन्द्र चरित के रचयिता जयसागरगणि हैं । ये जिनवर्धन सूरि के शिष्य थे, जो खरतरगच्छ के थे । इन्होंने इस चरित्र की रचना वि० सं० १५०३ (१४४६ ई०) में की थी। ८७. पाण्डवपुराण: (यश: कीर्ति) इस ग्रन्थ में ३४ सन्धियाँ हैं । इस ग्रन्थ में पाण्डव और कौरवों के चरित के साथ श्रीकृष्ण का चरित भी अंकित किया गया है । रचना की भाषा-शैली प्रौढ़ है । ८८. हरिवंशपुराण: (यश: कीर्ति) इसमें १३ सन्धियाँ हैं और २७१ कड़वक हैं, जिसमें हरिवंश की कथा अंकित है । रचयिता : रचनाकाल उपर्युक्त दोनों पुराणों के रचयिता यशः कीर्ति हैं । काष्ठासंघ के मथुरान्वय पुष्करगण १. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग ६, पृ० -४१६ २. हीरालाल हंसराज जामनगर द्वि० सं०, १९१४ ई० में प्रकाशित ३. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग ६, पृ० ३७९ ५. तीर्थङ्कर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, भाग-३, पृ० ४११ ४. जिनरलकोश, पृ० २५६ ६. वही, पृ० ४११
SR No.022661
Book TitleNemi Nirvanam Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAniruddhakumar Sharma
PublisherSanmati Prakashan
Publication Year1998
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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