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________________ २१२ “भवन्ति नम्रास्तरवः फलागमैर्नवाम्बुभिर्दूरविलम्बिनो घनाः । अनुद्धताः सत्पुरुषाः समृद्धिभिः स्वभाव एवैष परोपकारिणाम् । ।”२ यहाँ, कालिदास ने परोपकारियों के विवेक का वर्णन किया है, तो वाग्भट ने मातङ्ग के अविवेक द्वारा उसी तथ्य को प्रकट किया है । श्रीमद्वाग्भटविरचितं नेमिनिर्वाणम् : एक अध्ययन “फलानि पुष्पाणि च वल्कलानि वा परोपकाराय वहन्ति हन्त ये । बभञ्जुरास्तानपि कुञ्जरास्तरून्कुतो नु मातङ्गकुले विवेकिता ।। उक्त श्लोक के पूर्वार्द्ध पर अभिज्ञानशाकुन्तल के निम्नलिखित श्लोक का प्रभाव (३) कालिदास का कन्यादान विषयक श्लोक तथा वाग्भट का एतद्विषयक श्लोक तुलनीय है। मिनिर्वाण के श्लोक पर कालिदास के श्लोक का स्पष्ट प्रभाव परिलक्षित होता है । कालिदास का श्लोक “अर्थो हि कन्या परकीय एव तामद्य संप्रेष्य परिग्रहीतुः । जातो ममायं विशद ः प्रकामं प्रत्यर्पितन्यास इवान्तरात्मा । । ३ वाग्भट का श्लोक - “संसारेऽस्मिन्नामनन्ति प्रबुद्धाः कन्यादानं सर्वदानप्रधानम् । तच्चेत्पात्रे न्यस्यते निर्विकल्पं सिद्धौ दातुः कीर्तिधर्मौ महार्थों । ।४ इसी प्रकार अन्यत्र भी अनेक जगह वाग्भट के ऊपर कालिदास का प्रभाव देखा जाता है । परवर्ती परम्परा में शायद ही कोई ऐसा कवि हो, जिस पर कालिदास का प्रभाव न पड़ा हो। भर्तृहरि का वाग्भट पर प्रभाव : वैराग्य विषयक, नैतिक और श्रांगारिक वर्णनों में बहुधा परवर्ती कवि-परम्परा को भर्तृहरि के शतकत्रय (वैराग्यशतक, नीतिशतक और श्रृंगारशतक) ने प्रभावित किया है । नेमिनिर्वाण में अनेक स्थलों पर भर्तृहरि के वैराग्यशतक का तो प्रभाव है ही, कहीं-कहीं शैलीगत भी उनके शतकों का नेमिनिर्वाण पर प्रभाव परिलक्षित होता है। नीतिशतक में पुष्पस्तबक के सदृश १. नेमिनिर्वाण, ५/३३ २. अभिज्ञानशाकुन्तल, ५ /१२ (कालिदास ग्रन्थावली) ३. वही, ४ / २२ (कालिदास ग्रन्थावली) ४. नेमिनिर्वाण, ११/५०
SR No.022661
Book TitleNemi Nirvanam Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAniruddhakumar Sharma
PublisherSanmati Prakashan
Publication Year1998
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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