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________________ २५ साधन उत्पन्न इस ढंगसे करते हैं कि लक्ष्य सिद्ध होकर ही रहता है और उसके अमिट स्थैर्य की आशा भी पूर्ण बन्ध जाती है । अनेक स्थलों पर आपने कन्या - विक्रय, वृद्ध एवं अनमेल विवाह मृतक - भोजन आदि विषयक सुधार ' श्रीसंघ की कलम द्वारा करवाये, जिनका परिपालन बड़ी गौरवता के साथ होरहा है । आप की नौ कलमें प्रायः अधिक प्रसिद्ध हैं वे संक्षिप्ततया निम्न लिखित हैं " १ - धार्मिक एवं मांगलिक पर्वो पर शोक न माने न मनावें और करवा पीने वास्ते भी किसीको न कहें । २ - स्त्री पुरुष के मृत्यु होने पर १ वर्ष उपरान्त शोक न रक्खें । ३ - मृतकके शोक में प्रातः कालमें भोजन पहिले स्त्रियाँ रोवे नहीं । ४ - जिसके घर मृत्यु हुआ हो उस घर के लोगों को वासवाले ही भोजन लाकर दें अन्य वासवाले नहीं | ५ - पुर गाँव में मृतक के बैठने ( मुकाण) के लिये रात्रि - समय घर से रोते रोते न जावें । ६- बालक के मृत्युमै तीन दिन उपरान्त गामवाले तापड़ जावें नहीं । ७- दाढी में समुदायसे रोते २ नहीं जाना फक्त नहीं गये हुए पीयर सासरावाले जासकते हैं ॥
SR No.022634
Book TitleRajendra Gun Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabvijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1939
Total Pages240
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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