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________________ कुमारविहा रशतकम् ॥ ॥१२॥ चित्रोना प्रतिबिंब पवाथी मथन करवाना नुत्पातनी पीमाने नहिं जाणनारा कीरसागरना सौनाग्यने ते धारण करे . १० विशेषार्थ-कुमारविहार चैत्यमा रहेला श्री पार्श्वनाथ प्रजुनी प्रतिमा चंद्रकांतमणिमय ने ते प्रतिमाने ज्यारे स्नान करावे , त्यारे तेमांयी चंगकांत मणिना करणाओ करे . जे नविप्राणी उपर ए स्नात्र जळy सिंचन थाय ने, ते नविप्राणी शोकयी मुक्त थइ जाय . ते चंकांतमय प्रतिमाने ज्यारे स्नान कराववामां आवे , त्यारे ते स्नात्र जळनी अंदर मंदिरनी नीतो उपर चितरेला अश्व, कल्पवृक्त, चंज, कामधेनु, लक्ष्मी अने अरावतना चित्रोना प्रतिबिंबो पके . आ देखाव नपरथी कवि कल्पना करे ने के, समु. जना मथननी वार्ता लोकमां प्रसिद्ध छे. ने मथन करेला समुज्मांधी चौद रत्नो नीकळेनां . ते चोद रत्नोमां अश्व, कल्पवृक्ष, चंड, कामधेनु, बदमी
SR No.022628
Book TitleKumarvihar Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamchandra Gani
PublisherJain Atmanand Sabha
Publication Year1910
Total Pages254
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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