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________________ कुमार विहा रशतकम् || ॥ ४८ ॥ पद्मरागमणिना राता किरणो पमवाथी तेमना चरणमां अलताना जेवो देखाव थाय बे, बलाट उपर सिंडरनी रेखा परे बे, अंग उपर केशरीच्या रंनो अंगराग थाय बे, चीनाइ वस्त्र उपर कसुंबी कांति परे बे ने अधर दल उपर मनोहर तांबूलनी शोजा देखाय वे. ४‍ पुष्पं यस्मिन् कनककमलान्यंशुकं चीनवासः - स्नानस्यांभः कुसुमरजसो दीपिकारत्नरोचिः । आकल्प श्रीर्विविधमणयो रक्षकाः क्षेत्रपाला धूपक्षोदो मृगमदकणाः पूजकाः क्ष्माभुजश्च ॥ ४६ ॥ अवचूर्णिः - यस्मिन् पुष्पं कनककमलानि अंशुकं प्रस्तावाद् धौतवस्त्रं चीनवासः स्नानस्य अंजः कुसुमजरजः दीपिकारत्नरो चिः प्राकल्पश्रीर्विविधमण यः रक्षकाः क्षेत्रपालाः धूपकोदो मृगमद
SR No.022628
Book TitleKumarvihar Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamchandra Gani
PublisherJain Atmanand Sabha
Publication Year1910
Total Pages254
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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