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________________ [ ४२ ] संखेजा पयसहस्सा पयग्गेणं; संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविजंति, पन्न विजंति परूविजंति, डंसिजति, निदंसिजंति, उवदंसिज्जति; से एवं पाया, एवं नाया, एवं विन्नाया, एवं चरणकरणपरूवणा श्राघविजइ; से त्तं अंतगडदसायो ८॥ सू० ५२ ।। से किं तं अणुत्तरोववाइयदसायो ? अणुत्तरोववाइयदसासु णं अणुत्तरोववाइयाणं नगराई, उजाणाई, चेइयाई, वणसंडाई, समोसरणाई, रायाणो, अम्मापियरो, धम्मायरिया, धम्मकहाओ, इहलोइयपरलोइया इढिविसेसा, भोगपरिच्चोगा, पव्वजाओ, परिभागा, सुयपरिग्गहा, तवोवहाणाइं, पडिमात्रो, उवसग्गा, संलेहणाश्रो, भत्तपच्चवखाणाइं पाओवगमणाई, अणुत्तरोववाइय त्ति उववत्ती, सुकुलपञ्चायाईओ, पुणबोहिलाभा, अंतकिरियामो, प्राविज्जंति, अणुत्तरोववाइयदसासु णं परित्ता वायणा, संखेजा अणुप्रोगदारा, संखेजा वेढा, संखेजा सिलोगा, संखेजाओ निज्जुत्तीओ, संखेजाओ संगहणीओ, संखेजात्रो पडिवत्तीओ, से गं अंगट्ठयाए नवमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, तिन्नि वग्गा, तिन्नि
SR No.022625
Book TitleNandisutra Mool Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChotelal Yati
PublisherChotelal Yati
Publication Year
Total Pages60
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size7 MB
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