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________________ [ १० ] stery गामियं श्रहिनाणंसे जहानामए केइ पुरिसे एगं महंतं जोइट्ठाणं काउं तस्सेव जोइट्टाएस्स परिपेरं तेहिं परिपेरतेहिं, परिघोले माणे परिघोलेमाणे तमेव जोइट्ठाणं पासइ, अन्नत्थगए न जाएइ न पासइ एवामेव अणाणुगामियं ओहिनाएं जत्थेव समुप्पजज्ह तत्थेव संखेज्जाणि वा श्रसंखेज्जाणि वा संबद्धाणि वा असंबद्धाणि वा जोयणाई जाएइ पासह; अन्नस्थगएण पासह, से तं अणाणुगामियं श्रहिनाणं ॥ ११ ॥ से किं तं वड्ढमाणयं श्रहिनाणं ? बड्ढमाणयं ओहिनाणं पसत्थेसु अज्भवसायट्ठाणेसु वदृमाणस्स वड्ढमाण चरित्तस्स । विसुज्झमाणस्स विसुज्झमाण चरित्तस्स । सव्वच समता श्रहि वड्ढइ— जावइया तिसमयाहारगस्स सुहुमस्स पणगजीवस्स ॥ श्रोगाहणा जहन्ना ओहीखित्तं जहन्न तु ॥५५॥ सव्व बहु गणि जीवा निरंतरं जन्तियं भरिज्वंसु ॥ वित्तं सव्वदिसागं परमोही खेत्तनिद्दिट्ठो ॥ ५६ ॥ अंगुलमावलियाणं भाग मसंखिज्ज दोसु संखिज्जा ॥ अंगुलमावलियंतो आवलिया अंगुल पुहुत्तं ॥५७॥ हत्थम्मि मुहुत्तो, दिवसंतो गाउयम्मि बोद्धव्वो । जोयण दिवसपुहुत्तं पक्खंतो पन्नवीसाचो ॥५८॥
SR No.022625
Book TitleNandisutra Mool Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChotelal Yati
PublisherChotelal Yati
Publication Year
Total Pages60
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size7 MB
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