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________________ 4 पदक देताना ॥ श्रीजिना युनमा भक्तिनासमोदकराने कस 'शुत तिह શેર વિણાગ્નિસ दंगलिया । नरिमियसुरवर सिरिसेहर किरणाय सस्सिरियं नमिठं श्री वीरयये तु यदीलगुणति देवतामनुष्य श्रीनि २ मनोनि तिरपी दर से प्रजेला के वास् समे से कन्य सिया बलानी २ रसे १] दीनदी समेरिले सिरिसुद् म्मासा मिनिटां ततो या लिसेसिको जेबुधरिमनाला कार दरगा क्रिदर श्रीस्वामी स्वर्गे तेनासामान सोन तेश्रीसिनमूना रीगुरु के दवा केदा रसेदिं एदसूरिंग सिसवनं सासिनो यसो गर्नुस जसन गुरुतलो सीसोसि श्री सोनसूरीभुवने नगरानाको ना श्री संभूतविजयी विशेोविदारकरता छानोसा इसूरिना नसोन नवससमयन्नु त्रुविदतोतो सावा पोला द BER सदकाल से निरंतर साकारण सिरिन बाई विजय सी सावान नगरी श्रीमि मीन एसहियायध्दि सेवलगुरू सीसो महिलाए सीनामे प्रतिमा र दशतिद ६ एट्स बीस सदर मेदे नद्रबाह सामी मासिष्‍ फरुनीसा दार वेश्रा लक्ष्मीना aaaù लगे परसथ्यका का विवरे सदाकालते मलताना मेलीका ऐ सोएडिमाईहितरतंचरई ६ सोऽविसरिसा मोहिम संप सा कामजयारना वियतिस सिहांसा प्रतिमा अतितीशसञ समकाले सानेंद हाथ मांलेईने मलिने गाईनेमा सारथी रुब ननेदि २२ र सम मनिद वैदे काना कानारा याताणे 9 पातितं सा मधनिधि वाया विक मांसक सर्व दांते देना ||दियायचे सछेदलमा दिया पट्या चित्रेएमुली सकारले दादप्रकारन प्रादा का શ્રી મોહતલાલજી જૈત જ્ઞાતભંડાર - સુરત पो.नं. २५, प्रत नं. १०७, पत्र- ७, सस्तन પ્રથમ પત્ર बिसेक लुनुपरे अधिक इसये दिये एगन श्रुतल नाथा से एहिं वरमेदिते बीस मो 59 १३ दादी मोक कमीनें जा जीमूत सी विदित શ્રી મોહતલાલજી જૈત જ્ઞાતભંડાર - સુરત पो.नं. २५, प्रत नं. १०७, पत्र- ७, सस्तन અંતિમ પત્ર पादा स्पा अतिकुवंतिवासप्रकारले ६ य लेकि a સવ संप्रति मेरा निलमि सच अदिएहिं रिसाई संवनिदो जिमिाग बोली मानक य तिवारी नवालुवर्ष सोलसे पक्षी दो दी नू तसो सोलस्सए हिं तेसम संघने श्रुतराचिन સિમ रु‍ वा अम्मन्न संतिसुरमे ४ तंमिसला संघ सुया सिनस्ट जिल्लसें तेनी शिवि 4 तीसमोो स्म्मि के उग ५ तस्मन्सिया तिसीसाएगा सिर रिसाएं तस्मि देई वुन सांजलीनेंमुनी कम कैना में त्रिसर्षक रासभोग से बेगे संप्नोत उदयथा ६ बुल एमझीज सो गुरुनो मे वारंवारते बंदना ए सगुन संधनांत संत विजयने gana करे 9 बीनें करे यमलवडी संघस्सस्स न६ इय् जस्सन गुरु क्युबलादेरगो पायाट्रीक यमदे रत्नसाध बलोकें तो तो वेदपाए आप बणसूरी सुगुरुतद्बाहू संयं यं संदले गर्नु गिलो पट श्रुतलना नो विस નિલેશને વિ जसोन वचने मे करे मकसुरीला फलं फली जा लिनु G 2 फसलाफ जजोली में उपाय जस्सन्न है जिलब्यले चिसो होदवड दिय इतिश्रागयुजि यता समासः॥ द इतिश्रीबुलियात प्रयासमासः ॥ द देशकालस तिवार‍ बी
SR No.022624
Book TitleVargchulika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year2010
Total Pages112
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anykaalin
File Size7 MB
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