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________________ फागुण वद १४ गुरुवासरे संपूर्णः । श्री- शांतलपुरनगरे । श्रीशांतिनाथप्रसादात्। ग - पं. हेक्सागरगति लिजित श्री पंगयूलिया पत्र-११ नि nanावितस्यगायनमानमः किलोसमुदेकरीम देवतामनु परंवश्क मनदेवता भामस के मुंगर तेनिभासा सोतिर श्रीगुरुसोनम नम्पा स्वाभावि गलसू श्रीवितरायनमा सन्निसरनमियूसरवर सिरिसेदरकिरणरश्यसस्सिरिय छेसू पत्र श्वरलकमलश्तेनमिन विश्व किनिरिणकि श्रीमुक्ष्म खामि नुनिवणि भयो निवारवजानालिसवर अनुस्वामिनी कदर भूतदोलनाना विसवरस मंसिप्रापाभ्या . त्याकेव यदोलयुष्मतिर विराविसमेवरिसे सिरिसुदम्मसामिनिवारणं तत्राचयालिससिहो बुधरिम लिजा ॥२॥ वारपनी पारवरसे श्रीप्रसवसूरीस्वर्गगया मदायसनु बाविसब मासिा सोनियंत्रिवेंपोरता घरएदवा सवस्वामि नाणि २३वार सरिसहिं पत्सवमूरिगतियसलवणे तेविसाए सिडी वाय तोगउँसगा। तेदाता शिपायसोन मिालवसुरोनाविष्मकेदवात्रा श्रायसोनरी विदरकरतीसावस्ति नगरीमा ४ श्रीवास्ता इमरगुरुतेकेदवा ग मनाजान पृथविनवियर कोष्टक नामाउद्याने समोसस्या मिश्रीसंलुनिदि जसतगुरुतंत्र सीसोसिडोवस्ससमयन्दू विहरतोपनो सावधियाणे ४सिरिसवा जयएवंदामिनावरणदार सदाकालमासानारदें निस्ठुरुतिसूभकामवाना कारक गह-श्रीन व्यथानादवा नार एवम बाऊ. ऊस विजयमीसावालसगारापासहियायनिच ऊंगसिस्ससाँगुरुता अदल नानिय र नियमनगरीश्रीप्रग्निटनामई मिथुलानाजीनानतिनियर पनि ग्यानिदान ॥ ममें नादवा नामःउद्यान यावर हवासासा मदिनारा अमिदनीनामा चिगेमुकाव सोया माहिउत्तवदर का પ્રથમ પત્ર वचनई जिनधर्मनिविषचित्रकरई मरा तिश्रावेगधुलिया अतदीलगानी उत्पति मध्यन संपल जरायण दविनोदीदप दियदल इतिश्रीवंगाधुलियाएसयदापनि असय मंगल्या सकलपमित्तसारोमणिपंहिता रजसागरगणिततशिष्य पंचायरल सामरगणि तेवदवपादेवसागर। गालपाता. एसमसकलपंक्तिश्रापारलसागरगलितभिव्ययादेवसागरगशिलपाहत सचद८५५नावशाके७२प्रक्त माने जाहमासेशलप -नेरसत्ताधालूगुवारेसलपाहतानाकर्षण संवत्तरपनावषेशकर७२१५वत्रमिनिसावपदशल्लपझेदसमतियौरी सोमवासरे अयाहसंपुस्तकदृष्ट्वा तासंलिपीतमया यदिसूछमस्वा ममदोषानदियते॥१॥इतिश्रा कल्याणमस्तुःमंगल्य:॥ ॥श्री श्रग श्री श्री श्री श्री श्री श्रा लपीतं श्रीश्रेयसपना दावा श्रकार અંતિમ પત્ર स्त सहित. माद - श्रीवित२॥२॥य नमः । भत्तिब्भरनमियसुरवर...
SR No.022624
Book TitleVargchulika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year2010
Total Pages112
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anykaalin
File Size7 MB
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