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________________ સંશોધનમાં ઉપયુક્ત હસ્તાદર્શાનો પરિચય क - श्री हेमयन्द्रायार्थ ज्ञानमंदिर - ॥2॥ Sl. 3८१, प्र. १८११२, पत्र लहानाचारमा मादक नतिक भारककैनालीजी जिन्दकिसिरकुटांकी किरणनेर-बार नीरश्केचर पना हरदेवताऽाधान गलत सो नाजिरको नमकारकरके आदिवाशीमिनमायनमुनितिभरनशियसरवर सिरसहराकार यसरिसरिय नामिसिनारपटों काय यासवादीचमी स्वनि निर्वाहरुसुममा नवदा मेनस्वामि । बासासि जवायततो ग सांग जसा SARASHTRAILadies गुरुतती सामासिवस्ससमयनिन बिहरतोपन सावचिकुन्यजाणं ४ सिरिभरबासी तविनयजानी यत्रानजीकारकक्षमा जाकपात्रागी के बारके गुरीको सुत्रपाक रतभयेमुरीको पास स्थित लोयके नित्यही मथनवाजीका भूविजयसीसाऽवातसंगधारा पासहियायनिव सुरसूसाकुरगुरुणा असरबासीसा। मिला नगरी गया यन्निननामा समान नास होलिभाधारकै ध्यानक के कान उपरत यावे मिनि । मिलाए गिननामेण लाचगाण सोपामाइनिनववरशनोऽदीमपुरिमा गोहिला आर्षमयमा स्तथिम परवश कामतारपा बिरतन तिनव्याने देत जमातम मदिरा में मनिईलाकार। तापमानाने विमान कापी भडमसपरचसमा कामयास्ताबियरतिसयान जाणेपासतितसाऊ मधानिम्यारापावा પ્રથમ પત્ર परंतु dasishnautan A NCHAR रिले गिदी गय२०० समदेशिक नयाभूपिशालिमप्रतिमा के समाचार सनीलसराय सxCHE बायो उसदिय दानदहिहंवरसानिया मिरमानवितोही ततोतोलसहि। निवास्नुि नगदे प राये निसादरकर नास्ता निमसमय मनिपा संघनत जारी तिवसादिवरसहितकाबाणियगा अचम्मन्नरस्तति सुयमेयं तमिसमरा अगित्तासंघसया मामानारंजी समय तक रात्रि में की माला SENSOLESAURAHASHTAKीरमा ज रासिनरकत अडतीसदमा डोलगिस्साघसके ग्रहोपतस्स6ि5निसयातिनीसागकराासवारसा I! नियमावतयाऊ या तिघकाच नको याममोमगुरुके वचनमकर नामा HAS णा SAECTORATESRAENASIK तम्मियमालपा संघस्ससुयस्स उपसचिवश्यजस्सभइगुरूरी क्योसोडा मुशीसुदरगाया मापक यार्न मदारपना भाति मूब केंसारमा भात भाजाम से मना बजायना नव प्रान यथः । नाचरण या रायगीकार करना भया निज या हाणतो पुगोपएपाए प्राधिकासरीगुरुवजहचाऊसभूयसेलेहगपचन्नो गया - पहिलेदेवलोक प्रतिहार ए भोपाय नाकारला गावापाकोरमा यत्रोनजनके जवनमें पिन । में तोपनमकणेश्य सुथहीलगाप्पायकलफलाजाशिका व अन्नविजस्मभनिएबयो चि। विनका अपांगलिकाम्नमाधान०४-मायोलि दिनमाजे मोनियम वास्लमहत्या-दशामरकर BHEEPTEP स्त विध्यार-मरसा ना रामाजतो लघुद्यांचा लोकारपहिय शतिनीउदराजूलियासम्मता सं-१२ फा.सु.१४ श्रीमहिंजयव गणिनालिरिवत्ता बबन 10 અંતિમ પત્ર स्तम. सरित. - श्रीजिनेन्द्राय नमः ॥ भत्तिब्भरनमियसुरवर....
SR No.022624
Book TitleVargchulika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year2010
Total Pages112
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anykaalin
File Size7 MB
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