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________________ वसुदेव की अट्ठाईस पत्नियों की विवरणी ५९९ २१. प्रभावती : पुष्कलावती नगरी के विद्याधरनरेश गन्धार की रानी अमितप्रभा से उत्पन्न पुत्री (पृ. ३५१) । २२. भद्रमित्रा : पोतनपुर नगर के राजा विजय की रानी भद्रा की पुत्री (पृ. ३५३-३५५) । २३. सत्यरक्षिता: पोतनपुर नगर के ही राजपुरोहित सोम ब्राह्मण की क्षत्रिया पत्नी कुन्दलता की आत्मजा (पृ. ३५३-३५५) । २४. पद्मावती : कोल्लकिर नगर के राजा पद्मरथ की आत्मजा (पृ. ३५६) । २५. पद्मश्री : कोल्लकिर नगर के ही राजा अमोघप्रहारी की पुत्री (पृ. ३५९) । २६. ललितश्री : कंचनपुर नगर के परिव्राजक सुमित्र की गणिका - पत्नी सुमित्र श्री की आत्मजा (पृ.३६२) । २७. रोहिणी : रिट्ठपुर नगर के राजा रुधिर की रानी मित्रदेवी की आत्मजा (पृ. ३६४)। २८. देवकी : मृत्तिकावती नगरी के राजा देवक की आत्मजा (पृ.३६८) । उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि वसुदेव ने विभिन्न वंश, वर्ग और वर्ण की पलियाँ प्राप्त की थीं। इनमें कुछ तो विद्याधरी हैं और कुछ मानवी । मानवी पत्नियों में भी राजकन्याओं के अतिरिक्त दो-एक ब्राह्मण-पुत्रियाँ तथा एक गणिका-पुत्री भी सम्मिलित है। इस प्रकार, वसुदेव ने अपनी विभिन्न पत्नियों के स्वीकरण द्वारा सर्ववर्णसमन्वय उपस्थित किया है। ब्राह्मणी पलियों में धनश्री तो विशुद्ध ब्राह्मण-पुत्री है, किन्तु सत्यरक्षिता राजपुरोहित सोम ब्राह्मण की क्षत्रिया पत्नी से उत्पन्न है। गणिकाएँ भी कुलवधू के पद पर प्रतिष्ठित होती थीं। इस प्रकार उस पुराकाल में अनुलोम विवाह के साथ ही, अन्तरजातीय और प्रतिलोम विवाह, साथ ही वारवधू विवाह की प्रथा के प्रचलित रहने का स्पष्ट संकेत मिलता है ।
SR No.022622
Book TitleVasudevhindi Bharatiya Jivan Aur Sanskruti Ki Bruhat Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeranjan Suridevi
PublisherPrakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan
Publication Year1993
Total Pages654
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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