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________________ सन्धान-कवि धनञ्जय की काव्य-चेतना द्वारा उल्लिखित राघवपाण्डवीय के कर्ता श्रुतकीर्ति त्रैविद्य से तादात्म्य स्थापित किया ।' अभिनवपम्प प्रणीत रामचन्द्रचरित अथवा पम्परामायण में राघवपाण्डवीय काव्य को गतप्रत्यागत शैली में निबद्ध माना गया है । २ इस तादात्म्य को दृष्टि में रखकर डॉ. पाठक ने कनड़ी अभिलेख के समय शक सं. १०४५ (११२३ई.) को आधार बनाकर धनञ्जय का समय निश्चित किया है । ४४ प्रो. मैक्समूलर ने 'इत्सिग्ज़ रिकार्ड आफ बुद्धिस्ट प्रैक्टिसिज़ इन द वैस्ट' के जे. ताकाकुसु कृत अंग्रेजी अनुवाद के साथ प्रकाशित अपने एक पत्र में डॉ. पाठक के मत पर आक्षेप करते हुए कहा, “काव्यालंकार सूत्र के कर्ता वामन ने कविराज कृत राघवपाण्डवीय का उल्लेख किया है", किन्तु पाठक ने 'इन्डियन एण्टीक्वेरी, १८८३' के पृ. २० पर राघवपाण्डवीय काव्य को आर्य श्रुतकीर्ति (शक सं. १०४५) की रचना बताने का प्रयत्न किया है। प्रो. मैक्समूलर के इस कथन का निराकरण करने के लिये डॉ. पाठक ने कविराज कृत तथा धनञ्जय कृत राघवपाण्डवीय नाम की दो कृतियों का उल्लेख करते हुए धनञ्जय के काल पर 'जर्नल ऑफ बाम्बे ब्रांच रायल एशियाटिक सोसाइटी, भाग २१, १९०४ ' में पृ. १-३ पर 'दी जैन पोइम राघवपाण्डवीय ए रिप्लाई टू प्रो. मैक्समूलर' शीर्षक से एक लेख प्रकाशित करवाया । इस लेख में उन्होंने अपने मत को पुष्ट करने के लिये निम्नलिखित तथ्य प्रस्तुत किये (१) तेर्दाळू के कन्नड़ अभिलेख, शक सं. १०४५ (११२३ई.) में श्रुतकीर्ति त्रैविद्य नाम के आचार्य का उल्लेख है । इस अभिलेख में श्रुतकीर्ति त्रैविद्य को राघवपाण्डवीय का कर्ता नहीं कहा गया है, किन्तु उसे षड्दर्शन में निष्णात तथा विरोधी तार्किकों को निष्प्रभ करने वाला कहा गया है । वह पुस्तकगच्छ मूलसंघ के देशीगण से सम्बन्धित कोल्हापुर (कोल्लागिरि) स्थित रूपनारायण बसदि के प्रधान पुरोहित माघनन्दी सैद्धान्तिक का शिष्य था । माघनन्दि सैद्धान्तिक का उल्लेख श्रवणबेल्गोला के अभिलेख न. ४० (शक सं. १०८५ या ११६३ ई.) में हुआ है ।४ १. I. A., भाग १४, १८८३, पृ. १४-२६ २. श्रुतकीर्तित्रैविद्यव्रति राघवपाण्डवीयमं विबुधचम त्कृतियेनिसि गतप्रत्यागतदिं पेळ्दमळ्कीर्तियं प्रकटिसिदं ॥ पम्परामायण,१.२५ ३. JBBRAS, भाग २१, १९०४, पृ. १ ४. द्रष्टव्य - जैनशिलालेखसंग्रह, भाग १, १९२८, पृ. २८ ל
SR No.022619
Book TitleDhananjay Ki Kavya Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBishanswarup Rustagi
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year2001
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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