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________________ द्विसन्धान-महाकाव्य का सांस्कृतिक परिशीलन २६१ उपलब्ध होते हैं। स्त्रियाँ अपनी केशसज्जा का विशेष ध्यान रखती थीं। कुछ स्त्रियाँ अपने लम्बे केशजाल को धुंघराले. बनाकर प्ररोहवत् नीचे की ओर लटका हुआ रखती थी । तो कुछ अपने केश-पाश को ढीला रखकर उनमें फूल गूंथती थीं। जूड़ा बनाकर उसमें तथा कानों पर फूल सजाये जाने का उल्लेख भी प्राप्त होता है। अनेक प्रकार की पत्रावलियों से सिर को सजाया जाता था ।५ माथे पर बन्धूक पुष्प का तिलक लगाया जाता था।६ चरणों में लाक्षारस लगाने का प्रचलन था। आँखों में काजल डाला जाता था। स्तनों तथा हाथों पर कुङ्कम का लेप करने का भी प्रचलन था।९ ताम्बूल खाकर ओष्ठों को लाल करने का उल्लेख भी आया है१० स्त्रियाँ सौन्दर्य प्रसाधन के समय दर्पण का पयोग भी करती थीं ।११ आभूषण स्त्रियों की वेशभूषा के सन्दर्भ में पट, क्षौम, अंशुक, दुकूल, कम्बल, उत्तरीय, अन्तरीय, कञ्चुक आदि वस्त्रों का प्रस्तुत अध्याय में पहले ही वर्णन किया जा चुका है । मध्यकालीन भारतीय स्त्री-वेशभूषा के अन्तर्गत वस्त्रों का ही नहीं आभूषणों का भी विशेष महत्व रहा था। स्त्रियाँ अपने विभिन्न अङ्गों में आभूषण धारण करती थीं। द्विसन्धान में उल्लिखित आभूषण इस प्रकार हैं १. शेखर१२ – जूड़े की माला को कहते हैं। १. द्विस,१५.४४ २. वही,७.७७ ३. वही,८३७ वही,१५.१५ वही वही,७.११ ७. वही,७.३९ ८. वही,१५.४४ ९. वही,१५.३९ १०. वही,८३२ ११. वहीं,८३८ १२. वही,१.२९,४२
SR No.022619
Book TitleDhananjay Ki Kavya Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBishanswarup Rustagi
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year2001
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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