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________________ द्विसन्धान-महाकाव्य का सांस्कृतिक परिशीलन २३७ थे। इन आयुधों के अतिरिक्त द्विसन्धान में शिरस्त्र' अथवा शिरस्त्राण का उल्लेख भी आया है, जो शिर की सुरक्षा हेतु प्रयोग में लाया जाता था। वाद्ययन्त्र सेना में वीरता का संचार करने तथा युद्धोत्तेजक वातावरण बनाने के सन्दर्भ में वाद्ययन्त्रों का महत्वपूर्ण स्थान था । द्विसन्धान में सेना प्रयाण तथा यद्धारम्भ के अवसर पर वाद्ययंत्रो के बजाये जाने का वर्णन उपलब्ध होता है। द्विसन्धान में निम्नलिखित वाद्ययंत्रों का उल्लेख प्राप्त होता है १. भेरी', २. तूर्य', ३. पटह, ४. शंख", ५. कनकानक । उक्त वाद्ययंत्रों में भेरी, पटह, तूर्य तथा शंख तो प्रसिद्ध हैं । कनकानक पटह . की भाँति का ही वाद्ययन्त्र था। (ख) आर्थिक स्थिति अर्थव्यवस्था अर्थव्यवस्था भी समाज की अन्य व्यवस्थाओं की भाँति एक महत्वपूर्ण व्यवस्था है । कौटिलीय अर्थशास्त्र में श्रमको अर्थव्यवस्था का मूलाधार माना गया है। इसी प्रकार शासन-व्यवस्था के सन्दर्भ में आर्थिक नीति को कोष पर अवलम्बित माना गया है ।१० महाभारत में भी वार्ता अर्थात् कृषि, वाणिज्य तथा पशुपालन को आर्थिक विकास का मूल स्वीकार किया गया है ।११ १. द्विस., १७.५ २. वही,१४.२-३ ३. वही,५५४ ४. वही,१४.२,१८.६८ ५. वही,५.३५,१६६ ६. वही,५.५४,१६७ ७. वही,५.४८,१७.१२ ८. वही,७९ ९. कौटिलीय अर्थशास्त्र,१.९०.४० १०. वही, २.८.१ तथा ८.१.४७ । ११. महाभारत,शान्तिपर्व,६८.३५ तथा ८९७
SR No.022619
Book TitleDhananjay Ki Kavya Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBishanswarup Rustagi
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year2001
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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