SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 160
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४० रौद्र रस रौद्र रस 'क्रोध' स्थायी भाव से उद्भूत होकर शत्रु की विभिन्न उत्तेजक चेष्टाओं से उद्दीप्त होता है । इसीलिए शत्रु का आलम्बन रूप में वर्णन किया जाता है । इसका विशेष उद्दीपन घर्षण, अधिक्षेप, अपमान, अनृतवचन, वाक्पारुष्य, अभिद्रोह, मात्सर्य आदि भावों से होता है ।' भृकुटि भङ्ग, दाँत तथा ओंठ चबाना, भुजाएं फड़काना, ललकारना, आरक्त नेत्र, स्वकृत वीर कर्म वर्णन, शस्त्रोत्क्षेपण, आक्षेप, क्रूर दृष्टि आदि इसके अनुभाव हैं । उग्रता, आवेग, रोमाञ्च, स्वेद, कम्प, मद, मोह, अमर्ष आदि इसके व्यभिचारी भाव हैं । २ सन्धान- कवि धनञ्जय की काव्य-चेतना सामान्यत: क्रोध के उद्दीपन के लिये दुःख और उसके कारण का बोध होना अत्यावश्यक है । इनके ज्ञानाभाव में वह उद्दीप्त नहीं हो सकता । यदि तीन अथवा चार मास की आयु के एक बालक को थप्पड़ मार दिया जाये, तो वह क्रोधित नहीं हो सकता । कारण यह है कि वह इससे उत्पन्न पीड़ा और थप्पड़ के सम्बन्ध को नहीं जानता । वह केवल रोकर ही अपनी पीड़ा को अभिव्यक्त कर सकता है । द्विसन्धान-महाकाव्य में राजपरिवारों की कथा का गुम्फन हुआ है, इसीलिए क्रोध भी शासकीय परिप्रेक्ष्य में उपलब्ध होता है। पंचम सर्ग में सूर्पणखा तथा लक्ष्मण/कीचक और भीम के मध्य घटी घटना का विलक्षण चित्रण हुआ है । लक्ष्मण द्वारा आहत होने के उपरान्त सूर्पणखा क्रोध से आगबबूला हो जाती है । वह सुन्दर युवती वाली अपनी पात्रता को भूलकर लक्ष्मण को अपने योद्धा पति खर-दूषण के विषय में सूचित करके चुनौती देती है | पक्षान्तर में, कीचक युद्धस्थलगत व्यूहरचना तथा युक्तिकौशल सम्बन्धी अपनी सफलताओं को स्मरण करते हुए भीम को धमकाता है तथा आक्षेपपूर्वक उसे इस समस्त विद्या को सीखने का आमन्त्रण देता है— १. द्रष्टव्य - ना. शा., पृ. ८७ २. सा.द., ३.२२७-३० द्विस., ५.२८ ३. नापत्यघातं प्रतियुज्य वाचा बहुप्रलापिन्नपयाति जीवन् । भवानभिज्ञः खरदूषणस्य नाद्यापि युद्धेषु पराक्रमस्य ॥३
SR No.022619
Book TitleDhananjay Ki Kavya Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBishanswarup Rustagi
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year2001
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy