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________________ छे. आ उपरथी एम जणाय छे के पू.आ.म. श्री सोमसुन्दर-सूरिजी म. ए एकज समयमां चारे जिनबिंबोनी प्रतिष्ठा करी हशे, परन्तु उत्तरदिशाना मूलनायकजीने कोई कारणसर बदलवा पड्या हशे. मूलमंदिरनी चारे बाजु चार विशाल मंडपो छे. तेना मुख्यमंडप तथा रंगमंडप जुदा जुदा छे. मन्दिरमां नकशीथी भरपूर १४४४ थांभलाओ छे. मूलनायकनी आगल मंडपमा रहेली नाच करती अने वाद्य वगाडती देवीओ तो साचेज नाच करती करती संगीत न गाती होय तेम लागे छे. मन्दिरमां शिल्पकलाथी शोभतां २४ रंगमंडपो छे. मूलनायकनी डाबी बाजु शिखरमां अधिष्ठायकदेवदेवीनी मूर्ति कोतरेली छे. आ अधिष्ठायक देवनो अहिं घणोज प्रभाव छे. जमणी बाजु चोकमां पांचसो वर्षनुं जूनुं 'रायणवृक्ष' अने तेनी नीचे श्री आदिनाथ भ.ना पादुका श्री शत्रुजय तीर्थाधिराजनी याद आपे छे. श्री समेतशिखरजीनी नकशीयुक्त रचना, श्रीअष्टापदजीनी (अधूरी) अद्भुतरचना, बे शिलाओ ऊपर यंत्राकारे गोठवेली श्रीनंदीश्वरद्वीपनी कलापूर्णरचना, कलाना भंडारसभा झुम्मरो, तेमज सहस्रकूटनी मनोरम रचना वगेरे जोई मन घणुं ज आह्लादित बने छे. देरासरनी भमतीमां एक भींत ऊपर सहस्त्रफणा श्रीपार्श्वनाथ भानुं शिल्प एक अखंड शिला ऊपर कोतरेलुं छे. काउस्सग्गध्याने श्री पार्श्वनाथ भ. नागेन्द्रनी पीठ ऊपर ऊभेला छे. नागनागणीओ आंटा लगावीने १००८ छत्र भगवंतनी ऊपर धारण कर्यां छे. आ शिल्प शिल्पीनी समग्र शक्तिथी उपज्युं होय तेम लागे छे. तेना ऊपर सं. १९०३नो लेख छे. ____ मूलनायकना सभामंडपना थांभलामां श्रेष्ठिवर श्रीधरणाशा अने स्थपतिवर श्रीदेपानी ऊभी मूर्तिओ प्रतिमाजीना हरसमये दर्शन करी शके एवी गोठवणपूर्वक कोतरेली छे. एक खूणाना देरासरमां पाघडी खेश आदि वस्त्राभूषणोथी सज्जित हाथमां माला राखेली श्रीधरणाशानी मूर्ति पण दृष्टिगोचर थाय छे. थांभलाओनी एकसरखी गोठवणी, एकसरखा रंगमंडप, सभामंडप, मुख्य मंडप, अने एकसरखी देरीओ जोतां शिल्पीनी श्रीकीर्तिकल्लोलकाव्यम् 159
SR No.022616
Book TitleVividh Haim Rachna Samucchay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemchandrasuri
PublisherShrutgyan Prasarak Sabha
Publication Year
Total Pages332
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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