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________________ ३४] [श्रीउत्तराध्ययनसूत्र परिजूरइ ते सरीरयं, . केसा पण्डुरया हवंति ते । से फासबले य हायई.. समय गोयम ! मा पमायए ।। २५॥ परिजूरइ ते सरीरय, केसा पण्डुरया हवंति ते । से सव्वबले य हायई, समय गोगम ! मा पमायए ॥२६ ।। अरई गण्ड दिसूइया, आयका विविहा फुसंति ते । विहडइ विद्धसइ ते सरीरयं, समयं गोयम ! मा पमायए ।। २७ ।। वोच्छिन्द सिणेहमप्पणो, कुमुयं सारइये व पाणियं । से सव्यसिणेहवजिए, समयं गोयम !मा पमायए ।।२८॥ चिचाण धणं च भारिय, पवइओ हि सिणगारियं । मा वन्तं पुणो वि आइए, ___ सप्रय गोयम ! मा पमायए ।।२९।। अवउझिय मित्तबन्धव, विउलं चेन धणोहसंचयं । मा तं बिइयं गवेसए, समयं गोयम ! मा पमायए ॥ ३० ॥ न हु जिसे अज दिस्सई बहुमए दिस्सा मग्गदेसिए ।
SR No.022614
Book TitleDashvaikalik Tatha Uttaradhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshchandra Maharaj
PublisherAtmaram Mohanlal Sheth
Publication Year1949
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_dashvaikalik, & agam_uttaradhyayan
File Size13 MB
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