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________________ चूलिया १ दसवेलियसुत्तं इमं च मे दुक्खं न चिरकालोबट्टाई भविस्सइ ॥ ४ ॥ श्रमजरापुरकरे ॥ ५ ॥ वंतस्स य पडिश्रायणं ॥ ६ ॥ ५५. अहरगइवासोवसंपया ॥ ७ ॥ दुल्लभे खलु भो ! गिही धम्मे गिहिवासमज्झे वसंताणं ॥८॥ आयंके से वहाय होइ ॥ ९ ॥ संकप्पे से वहाय होइ ।। १० । सोवक्के से गिहिवासे निरुवक्केसे परियाए ।। ११ ।। बंधे गिहिवासे मोक्खे परियाए । १२ ॥ सावजे गिहिवासे अणवज्जे परियार ।। १३ ।। बहुसाहारणा गिहीणं कामभेोगा ॥ १४ ॥ पत्तेयं पुराणपावं ॥ १५ ॥ प्रणिच खलु भो मणुयाण जीविए कुसग्गजलबिंदुचंचले ||१६|| बहुं च खलु भो ! पावं कम्मं पगडं ॥ १७ ॥ पावारां च खलु भो कडा कम्माणं पुर्वित्र दुच्चिरणाणं दुपडिकंताणं वेयइत्ता मोक्खा; नत्थि अवेयइत्ता, तवसा वा मासइत्ता । अठारसमं पयं भवइ ॥ १८ ॥ भवइ य एत्थ सिलोगो: जया य चयइ धम्मं अणजो भोगकारणा । से तत्थ मुच्छिए बाले आयइं नावबुज्झइ ॥ १ ॥ जया ओहाविओ होइ इंदो वा पडिओ छमं । सव्वधम्मपरिब्भट्ठो स पच्छा परितप्पह ॥ २ ॥ जया य वंदिमो होइ पच्छा होइ अवदिमो । देवया व च्चुया ठाणा स पच्छा परितप्पइ ॥ ३ ॥ जया य पूइमो होइ पच्छा होइ अपूइमो । राया व रजपब्भट्ठो स पच्छा परितप्पइ ॥ ४ ॥ ..
SR No.022614
Book TitleDashvaikalik Tatha Uttaradhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshchandra Maharaj
PublisherAtmaram Mohanlal Sheth
Publication Year1949
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_dashvaikalik, & agam_uttaradhyayan
File Size13 MB
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