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________________ दसवेलियसुत्तं एवायरिओ सुयसीलबुद्धिए वियई सुरम व इंदो ॥ १४ ॥ जहा ससी कोमुइजोगजुत्तो नक्वत्ततारागणपरिवुडप्पा | खे सोहर विमले अब्भमुक्के एवं गणी सोहइ भिक्खुमज्झे ।। १५ ।। महागरा आयरिया महेसी समाहिजोगे सुयसील बुद्धिए । संपाघिउकामे अणुत्तराई आराहए तोसए धम्मकामी ॥ १६ ॥ सोच्चारण मेहावि सुभासियाई अज्झयण ६-२ सुस्सूस ए आयरियऽप्पमत्तो । आराहइत्ताण गुणे श्ररोगे सो पावई सिद्धिमगुत्तरं ॥ १७ ॥ ति बेमि ॥ ॥ णवमअज्झयणस्स विषयसमाहीए पढमो उद्देस ॥ वममज्झणं - बीओ उसओ || मूलाओ खंधप्पभवो दुमस्स खंधाउ पच्छा समुर्वेति साहा । साहप्पसाहा विरुहंति पत्ता तो से पुष्कं च फलं रसो य ॥ १ ॥ एवं धम्मस्स विणओ मूलं परमो से मोक्खो । जेण किन्ति सुर्य सिग्धं निस्सेसं चाभिगच्छइ ॥ २ ॥ जे य चंडे मिए थद्धे दुव्वाई नियडी सढे । बुझ से विणीयप्पा कटुं सोयगयं जहा ॥ ३ ॥ विजयं पि जो उवारण चोइओ कुप्पइ नरो । दिव्वं सो सिरिमेज्जन्ति दंडे पडिसेहए ॥ ४ ॥ समत्तो ॥
SR No.022614
Book TitleDashvaikalik Tatha Uttaradhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshchandra Maharaj
PublisherAtmaram Mohanlal Sheth
Publication Year1949
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_dashvaikalik, & agam_uttaradhyayan
File Size13 MB
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