SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३४ दसवेालियसुतं 'असंथा इमे अंबा बहुनिव्वडिमा फला । वपज्ज बहुसंभूया भूयरुवत्ति वा पुणे ॥ ३३ ॥ तवसही पक्काओ नीलियाओ छवी इ य । लाइमा भजिमाओ ति पिहुखज्जन्ति नो वए ॥ ३४ ॥ रूढा बहुसंभूया थिरा ऊसढा विय । गभिया पसूयाओ ससाराओ ति श्रालवे ॥ ३५ ॥ तव संखडि नच्चा किच्च कज्जं ति नो वए । गं वा विवज्झेत्ति सुतित्थे त्ति य श्रावगा || ३६ || संख संखडिं बूया परियत्ति तेगं । बहुसमाणि तित्थाणि श्रवगाणं वियागरे ॥ ३७ ॥ तहा नईओ पुरणाओ कायतिज्जन्ति नो वए । नावाहि तारिमाओ त्ति पाणिपेज्जन्ति नो वए ॥ ३८ ॥ बहुवाहडा अगाहा बहुसलिलुप्पिलोदगा । बहुवित्थडेोदगा यावि एवं भासेज्ज पनवं ॥ ३६ ॥ सहेव सावज्जं जोगं परस्साए निट्टियं । कीरमाणं ति वा नच्चा सावज्जं नालवे मुणी ॥ ४० ॥ सुकडे ति सुपक्के सि सुच्छिन्ने सुहडे मडे । सुनिट्ठिए सुलट्ठे ति सावज्जं वज्जए मुणी ॥ ४१ ॥ पयत्तपक्कत्ति व पक्कमालवे पयत्त छिन्नन्ति व छिन्नमालवे | 9 पयत्तलट्ठत्ति व कम्महेउयं पहारगाढत्ति व गाढमालवे ॥ ४२ ॥ अज्झयण ७ सव्वुक्कसं परग्धं वा अडलं नत्थि परिसं । अचक्कियमवत्तवं अचियत्तं चैव नो वर ॥ ४३ ॥ १. घडा २ - मिव्वहिमा |
SR No.022614
Book TitleDashvaikalik Tatha Uttaradhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshchandra Maharaj
PublisherAtmaram Mohanlal Sheth
Publication Year1949
Total Pages256
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_dashvaikalik, & agam_uttaradhyayan
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy