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________________ विवागमयंसि [ १९४परिणामेमाणा इच्छन्ति अञ्जए देवीए जोणिसूलं उवसामित्तए, नो संचाएन्ति उवसामित्तए । तए णं ते बहवे वेजा य ६ जाहे नो संचाएन्ति अञ्जए देवीए जोणिसूलं उवसामित्तए, ताहे सन्ता तन्ता परितन्ता जामेव दिसिं पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया । तए णं सा अञ्ज देवी ताए वेयणाए अभिभूया समाणी सुक्का भुक्खा निम्मंसा कट्ठाई कलुणाई विसराई विलवइ । “ एवं खलु, गोयमा, अञ्ज देवी पुरा. पोराणाणं जाव विहरइ" ॥ १९४॥ __ " अञ्ज णं, भन्ते, देवी इओ कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिइ, कहिं उववजिहिइ ?” “गोयमा, अञ्ज गं देवी नउई वासाइं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइयत्ताए उववजिहिइ । एवं संसारो जहा पढमे तहा नेयव्वं जाव वणस्सइ'... । सा णं तओ अणन्तरं उव्वट्टित्ता सवओभद्दे नयरे मयूरत्ताए पञ्चायाहिइ । से णं तत्थ साउणिएहिं वहिए समाणे तत्थेव सव्वओभद्दे नयरे सेट्टिकुलंखि पुत्तत्ताए पञ्चायाहिइ । से णं तत्थ उम्मुकबालभावे तहारुवाणं थेरा.....केवलं बोहिं बुज्झिहिइ । पव्वजा । सोहम्मे ....." । " से जं ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं कहिं गच्छिहिइ, कहिं उववजिहिइ ?" "गोयमा, महाविदेहे जहा पढमे जाव सिज्झिहिह जाव अन्तं काहिइ। एवं खलु, जम्बू, समणेणं जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं दसमस्स अज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते"। "सेवं, भन्ते, सेवं, भन्ते" ॥ १९५॥ दुहविवागो दससु अज्झयणेसु । पढमो सुयक्खन्धो सम्मत्तो ॥
SR No.022613
Book TitleVivag Suyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP L Vaidya
PublisherP L Vaidya
Publication Year1935
Total Pages198
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, & agam_vipakshrut
File Size12 MB
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