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________________ उववाई सूतं माणं म्हं तवलोवे भविस्सइ । तं सेयं खलु अहं देवाणुप्पिया ? तिदंडयं कुंडियाओ य कंचणियाओ य करोडियाओ य भिसियाय छग्णालय अंकुसए य केसरिया य पवित्तर य गणेन्तिया य छत्तए बाहणाओ य पाउयात्री य धाउरत्ताओय एगंते एडित्ता गंगं महाणई योगाहित्ता वालुयासंधारए संथरिता संलेहणाभूसियाणं भत्तपाणपडियाइक्खियाणं पात्रोवगयाणं कालं अणवखमाणाणं विहरितए तिकट्टु अरणमगणस्स अंतिए एयमहं पडिमुर्णेति, २ त्ता तिदंडए य जाव एगंते एडेइ २ ता गंगं महाण ओोगाहेइ २ त्ता वालुआसंथारए संथरंति २त्ता वालुया संधारयं दुरहिंति वा २ ता पुरस्थाभिमुहा संपलियंकनिसरणा करयल जाव कट्टु एवं वयासी । ७५ " नमोऽत्यु णं अरहंताणं जाव संपत्ताणं, नमो sत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव संपा. विउकामरस, नमोऽत्थुणं अम्मडस्स परिव्वायगस्स म्हं धम्मायरियस धम्मोवदेसगस्स | पुव्वि णं म्हे [ ] अम्मड परिव्वायगस्स अंतिए थूलगपाणाइवाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए थुलए मुसावाए थुल दिरणादाणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए,
SR No.022612
Book TitleUvavai Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChotelal Yati
PublisherJivan Karyalay
Publication Year1936
Total Pages110
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size8 MB
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