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उबवाई सूक्तं अप्पेगइया अद्धमासपरिआया अप्पेगइया मासपरिमाया-एवं दुमास तिमास जाव एकारस अप्पेगझ्या वासपरिमाया दुवास तिवास अप्पेगइया अणेगवासपरिाया संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरंति ॥ .... ., (सू. १५) तेणं कालेणं तेणं समएणं समणसं भगवत्रो महावीरस्स अंतेवासी बहवे निग्गंधा भगवंतो अप्पेगइया प्राभिणिषोहियणाणी जाव केवलणाणो अप्पेगइया मणबलिया वयवलिया कायबलिया [ ] अप्पेगइया मणणं सावाणुग्गहसमत्था [ . ] अप्पगइया खेलोसहिपत्ता एवं जल्लोसहि विप्पोसहि आमोसहि सव्वोसहि अप्पेगइया कोबुद्धी एवं बीयबुद्धी पडबुद्धि अप्पेगइया पयाणु सारी अप्पेगइया संभिन्नसोया अप्पेगइया खीरासवा अप्पेगइया महुयासवा अप्पेगइया सप्पिया. सवा अप्पेगइया अक्खीणमहाणसिया एवं उज्जुमई अप्पेगइया विउलमई विउव्वणिढिपत्ता चारणा विजाहरा भागासाइवाईणो, अप्पेगइया कणगावलिं तवोकम्म पडिवण्णा एवं एगावलिं खुड्डागसीहनिकीलियं तवोकम्म पडिवण्णा अप्पेगइया महालयं सीहनिक्कीलियं तवोकम्म पडिवण्णा भद्दपडिमं महा