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________________ [१८] उजाणाइं चेइआई वणसंडाइं समोसरणाहं रायाणो अम्मापियरे धम्मायरिया धम्मकहाओ इहलोइय परलोइय इड्ढिविसेमा निरयगमणाई संसारभव पवंचा दुह परंपराओ दुकुल पञ्चायाईओ दुलह बोहिअत्तं आघविज्जति सेत्तं दुह विवागा। सेकिंतं सुह विवागा । सुह विवागे सुणं सुह विवागाणं नगराई उज्जाणाइं चेहआई वणसंडाइं समोसरणाई रायाणो अम्मापियरो धम्मायरिया धम्मकहाओ इहलोइय परलोइयं इाढविसेसा भोगपरिचाइया पव्वज्जाओ परिआया सुअपरिग्गहा तवोवहाणाइं संलेहणाओ भत्तपञ्चक्खाणाई देवलोग गमणाई सुह परंपराओ सुकुल पञ्चायाईओ पुण बोहिलाभा अंतकिरियाओ आघविनंति विवागसुयस्सणं परित्ता वायणा संखिज्जा अणुओगदारा संखिज्जा वेढा संखिन्जा सिलोगा संखिज्जाओ निन्जुत्तीओ संखिज्जा संगाइणीओ संखिज्जाओ पडिवत्तीओ सेणं अंगट्टयाए एकार समे अंगे दो सुअक्खंधे वीसं अज्झयणा वीसं उद्दसण काला वीसं समुद्देसण काला संखिज्जा पय सहस्साइं पयग्गेणं संखिज्जा अक्खरा अणंतागमा अणंता पज्जवा तसा अणंता थावरा सासयकड
SR No.022611
Book TitleNandisutra Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherShah Maneklal Anupchand
Publication Year1923
Total Pages60
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size6 MB
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