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________________ [४] उज्जाणाई चेइआई वणसंडाणं समोसरणाइं रायाणो अम्मापियरो धम्मायरिया धम्नकहाओ इहलोइय परलोइया इटिविसेसा भोगपरिचाइया पयजाओ परिआया सुअपरिग्गहा तदोवहाणाइं पडिमाओ उवसग्गा संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाई पाओवगमः णाई अणुत्तरो ववाइयत्ते उववत्ती सुकुल पञ्चायाईओ पुणबोहिलाभा अंतकिरियाओ आघविजंति अणुत्तरो चवाइ अदसासुणं परित्ता वायणा संखिज्जा अणुओगदारा संखिजा वेढा संखिजा सिलोगा संखिजाओ निज्जुत्तीओ संखिजाओ पडिवत्तीओ संखिजाओ संगहणीओ से गं अंगट्टयाए नवमे अंगे एगेसुअवधे तिन्निवग्गा तिन्नउद्देसण काला तिन्नसमुद्देसण काला संखिजा पयसहस्साइ पयग्गेणं सांखिजा अक्खरा अणंतागमा अणंतापजवा परित्ता तसा अणंना थावरा सासयकड निबद्ध निकाइया जिणपन्नता भावा आधविनंति पन्नविनंति परूविजंति दसिजति निर्दसिजति उवदंसिजति सेएवं आया सेएवं नाया विनाया सेएवं चरण करण परूवणा आघविजइ । सेत्तं अणुत्तरो ववाइ दसाओ ॥९॥ .. सेकिंतं पण्हा वागरणाई । पण्हा वागरणे सुणं अठुत्तरं पमिणमयं अछुत्तरं अपसिणसयं अछुत्तरं
SR No.022611
Book TitleNandisutra Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherShah Maneklal Anupchand
Publication Year1923
Total Pages60
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size6 MB
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