SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 4
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ *ROAD OR* प्रास्ताविक 卐. KHAN HARHA* श्री जैन शासनमां प्रसिद्ध ४५ आगम उपरांत बीजा पण आमम ग्रन्थो छे. जे पक्खीसूत्र आदिमां ते मामो आबे छे तेमां द्वीपसागरप्रज्ञप्ति सूत्रनी नांध छे. ते सूत्रनी आ संग्रहणी छे. जेन रचनार श्रुतस्थविर छे. ___ आ ग्रन्थमा २२३ प्राकृत पद्यो छे जेमां द्वीप समृद्रोनुं वर्णन छे. मनुष्यक्षेत्र बहारना द्वीपोनुं वर्णन अणोदग समुद्र अने अरुणवर द्वीप सुधीनुं वर्णन छ जेमा क्षेत्र तेमज नीचे भवनपति आदि अने उपर चंद्रसूर्यनी पंक्तिओनुं वर्णन छे. ग्रन्थनं नाम छे ते रीतनुं वर्णन छे. जे पदार्थो अनेक सूत्र अने संग्रहणीओमा आवे छै. जेनो बोध प्राप्त करबो जरूरी ले. २०५० आसो सुद १५ पीपली बजार, इन्दोर जिनेन्द्रसरि
SR No.022610
Book TitleDwipsagar Pragnapti Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayjinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1994
Total Pages30
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anykaalin
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy