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________________ पन्नरसमं सयं कालं किच्चा दाहि णिल्लेसु असुरकुमारेसु देवेसु देवत्ताए उववज्जिहिइ । से णं तओहिंतो जाव उव्वट्टित्ता माणुसं बिग्गहं तं चेव जाव तत्थ विणं विराहियसामण्णे कालमासे जाव किच्चा दाहिणिल्लेसु नागकुमारेसु देवेषु देवत्ताए उववज्जिहिइ । से णं तओहिंतो अनंतर, एवं एएणं अभिलावेणं दाहिणिल्लेसु सुवण्णकुमारेस, एवं विज्जु- 5 कुमारेसु एवं अग्गिकुमारवज्जं जाव दाहिणिल्लेसु थणियकुमारेसु । से णं तओ जाव उव्वट्टित्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिइ जाव विराहियसामण्णे जोइसिएसु देवेसु उववज्जिहिइ । से णं तओ अनंतरं चयं चइत्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिइ जाव अविराहिय सामण्णे कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववज्जिहिइ । से णं- 10 तओहिंतो अनंतरं चयं चइत्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिइ, केवलं वोहिं बुज्झिहि, तत्थ वि णं अविराहियसामण्णे कालमासे कालं किच्चा ईसाणे कप्पे देवत्ताए उववज्जिहि । से णं तओ चइत्ता माणुस्सं विग्गहं अभिहिइ । तत्थ वि णं अविराहियसामण्णे कालमासे कालं किच्चा सकुमारे कप्पे देवत्ताए उववज्जिहिइ । से णं तओहितो एवं जहा सणकुमारे तहा बंभलोए, महा सुक्के, आणए, आरणे । से णं तओ जाव अविराहियसामण्णे कालमासे कालं किञ्चा सत्वसिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववज्जिहिइ । से णं तओहिंतो अनंतरं चयं चत्ता महाविदेहे वासे जाई इमाई कुलाई भवंति - अड्डाई जाव अपरिभूयाई, तहप्पगारेसु कुलेसु पुत्तत्ताए पच्चायाहिइ | 20 एवं जहा उववाइए दढप्पइन्नवत्तव्वया स च्चेव वत्तव्वया निरवसेसा भाणियव्वा जाव केवलवरनाणदंसणे समुप्पज्जिहि ॥ 15 45 ५०. तए णं से दढप्पइने केवली अप्पणो तीअद्धं आभोएहिइ, २ समणे निग्गंथे सहावेहिइ, २ एवं वइहिइ - ' एवं खलु अहं अज्जो, इओ चिराईयाए अद्धाए गोसाले नामं मंखलिपुत्ते होत्था, 25
SR No.022609
Book TitleBhagwati Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN V Vaidya
PublisherGodiji Jain Temple and Charities
Publication Year1954
Total Pages90
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, & agam_anuttaropapatikdasha
File Size8 MB
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