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________________ 20 श्रीमद्भगवतीसुत्रम् गुणपन्नं गंगासया भवतीतिमक्खाया। तासिं दुविहे उद्धारे पण्णत्ते, तं जहा-सुहुमबदिकलेवरे चेव, बायरबोंदकलेवरे चेव । तत्थ णं जे से सुहुमबोदिकलेवरे से ठप्पे। तत्थ णं जे से बायरबोंदिकलेवरे तओ णं वाससए २ गए २ एगमेगं गंगावालुयं अवहाय जावइएणं 5 कालेणं से कोटेखीणे नीरए निल्लेवे निट्टिए भवइ से तं सरे सरप्पमाणे । एएणं सरप्पमाणेणं तिन्नि सरसयसाहस्सीओ से एगे महाकप्पे । चउरासीइ महाकप्पसयसहस्साइं से एगे महामाणसे। अणंताओ संजूहाओ जीवे चयं चइत्ता उवरिल्ले माणसे संजूहे देवे उववज्जइ १। से णं तत्थ दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ, २त्ता ताओ देव10 लोगाओ आउक्खएणं ३ अणंतरं चयं चइत्ता पढमे सान्निगन्भे जावे पच्चायाइ १। से णं तओहिंतो अणंतरं उध्वट्टित्ता मज्झिल्ले माणसे संजूहे देवे उववज्जइ २। से णं तत्थ दिव्वाइं भोगभोगाई जाव विहारत्ता ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं ३ ज व चइत्ता, दोच्चे सन्निगन्भे जावे पच्चायाइ २। से णं तओहिंतो अणंतरं उव्वट्टित्ता हेहिले माणसे 15 संजूहे देवे उववज्जइ ३। से णं तत्थ दिव्वाइं जाव चइत्ता तच्चे सनिगन्भे जीवे पच्चायाइ ३। से णं तओहिंतो जाव उव्वाट्टत्ता उवरिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उववाज्जाहइ ४। से णं तत्थ दिव्वाइं भोग ... जाव चइत्ता चउत्थे सन्निगन्भे जीवे पच्चायाइ ४ । से णं तओहिंतो अणंतरं उव्वट्टित्ता मज्झिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे दवे उक्वज्जइ ५। से णं 20 तत्थ दिव्वाइं भोग... जाव चइत्ता पंचमे सन्निगन्भे जीवे पच्चायाइ ५। से णं तओहिंतो अणंतरं उच्वाट्टत्ता हेट्ठिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उववज्जइ ६। से णं तत्थ दिव्वाइं भोग... जाव चइत्ता छट्टे सन्निगन्भे जीवे पच्चायाइ ६। से णं तओहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता बंभलोगे नाम से कप्पे पण्णत्ते, पाईणपडीणायए उदीणदाहिणवित्थिपणे जहा 25 ठाणपदे जाव पंच वडिंसगा पण्णत्ता। तं जहा-१ असोगवडिसए,
SR No.022609
Book TitleBhagwati Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN V Vaidya
PublisherGodiji Jain Temple and Charities
Publication Year1954
Total Pages90
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, & agam_anuttaropapatikdasha
File Size8 MB
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