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________________ ( ३ ) तर निसिकाए, गायस्सुवट्टणाणि य ॥ ए ॥ गिहिणो वेयावमियं, जाइश्राजीववत्तिया ॥ तत्ता- निबुक जोतं, आर स्राणि य ॥ ६ ॥ मूलए सिंगबेरे य, उन्नु खं निधुके ॥ कंदे मूले य सच्चित्ते, फले बीए य आमए ॥ ७ ॥ सोवच्चले सिंधवेलोणे, रोमालो य श्रामए || सामुद्दे पंसुखारे य, कालालोय आमए ॥ ८ ॥ धूवणित्ति वमणे य, वश्चिकम्म विरे || अंजणे दंतवणे य, गायाजंग विनूसणे ॥ ए ॥ सबमेय - माइन्नं, निग्गंथाणं महेसिणं ॥ संजमंमि य जुताणं, बनूय विहारिणं ॥ १० ॥ पंचासव परिन्नाया, तिगुत्ता बसु संजया ॥ पंच निग्गहणा धीरा, निग्गंथा उकु दंसिणो ॥ ११ ॥ - यति गम्हे, हेमंतेसु अवाजमा ॥ वासासु परिसंलीणा, संजया सुसमाहिया || १२ || परीसह रिज देता, धूयमोहा जिइंदिया || संबं दुख पहीणा, पक्कमंति महेसिणो ॥ १३ ॥ डुक्कराई करित्ताणं, दुस्सहाई सहित्तु य ॥ के देवलोसु, केइ सिज्यंति नीरया ॥ १४ ॥ खवित्ता पुत्र कम्माई, संजमे तवे ॥ सिद्धिमग्ग - मणुपत्ता, ताइणो परिनिधुके, त्ति बेमि ॥ १६ ॥ इति खुरुगतियार कहा नामं तश्यं झयणं सम्मत्तंगद्यम्. सुयं मे संते, जगवया एव - मारकयं ॥ इहखलु बीवणिया नामऽज्जयां, समणेणं, जगवया महावीरेणं, कासवेणं पवेश्या, सुरकाया, सु पन्नता सेयं मे हिनं, अज्जयां, धम्मपन्नति ॥ १ ॥ कयरा खलु सा बजीवणिया नामऽज्जयां समणे जगवया महावीरेणं, कासवेणं, पवेश्या, सु ारकाया,
SR No.022606
Book TitleDasvaikalik Sutra Mool Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherNathmalji Moolchandji Shah
Publication Year1921
Total Pages60
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size4 MB
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