SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॥ श्रम् ॥ ॥ श्रीमद् शय्यम्जवसूरी प्रणीतम् । wwwww श्री दशवैकालिक सूत्र मूल पाठः (अनुष्टुब्वृत्तम् ) धम्मो मंगल-मुकि, अहिंसा संजमो तवो । देवा वितं संति, जस्स धम्मे सया मणो ॥ १ ॥ जहा मस्स पुप्फेसु, मरो विरई रसं ॥ न य पुष्पं किलामेई, सोय पणे अप्ययं ॥ २ ॥ एमे ए समणा मुत्ता, जे लोए संति सादुणो ॥ विहंगमाव पुष्फेसु, दानत्तेसणे रया ॥ ३ ॥ वयं च वित्तिं बनामो, न य कोइ वहम्मई ॥ श्रागमेसु यंते, पुप्फेसु जमरा जहा ॥ ४ ॥ मडुकार समा बुद्धा; जे जवंति अपिस्सि या ॥ नाणापिंक रया देता, तेण वुच्चंति सादुणो त्ति बेमि ॥ ५ ॥ इति कुम्मपुफिय नाम पढमं अयणं सम्मत्तं ॥ १ ॥ कहन्नु कुका सामन्नं, जो कामे न निवारए | पएपए विसीयंतो, संकप्परसं वसंग ॥ १ ॥ वह गंध - मलंकारं, इचि या ॥ चंदा जे न मुंजंति, न से चाइ चिच्चाई ॥ २ ॥ जेय कंते पिए जोए, लघे विप्पधि कुबई ॥ साही चयई जोए, से दुचाइति च ॥ ३ ॥ ( काव्यम् . ) समाइ हाइ परिचयंतो, सिया मणो निस्सरई बहिया ॥ न
SR No.022606
Book TitleDasvaikalik Sutra Mool Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherNathmalji Moolchandji Shah
Publication Year1921
Total Pages60
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy