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________________ प्रकाशिकाश्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखावावल-शांतिपुरी (जिल्लो-जामनगर) सौराष्ट्र - वीर सं० २५११ वि० सं० २०४१ प्रथमावृत्तिः प्रतयः ७५० १९८५ 卐 आभार म अमारी ग्रन्थमाला तरफथी आ सावचूरिक श्री चतुःशरणप्रकीर्ण सूत्र प्रगट करीए छीए. परम पूज्य हालारदेशोद्धारक पूज्याचार्यदेवश्री विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजाना पट्टधर पूज्य आचार्यदेवश्री विजयजिनेन्द्रसूरीश्वरजी महाराजनी निश्रामां जेतपुर (जुनागढ) मुकामे चोकसी जयंतिलाल हीराचन्द वसा तरफ थी पोते भरावेला श्री धर्मनाथ प्रभुजीनी महा सुद १० ना भव्य शांति. स्नात्रादि महोत्सव साथे प्रतिष्ठा प्रसंगे आ ग्रन्थ प्रगट करवा शुभ भावना थतां तेमना तरफथी आ ग्रन्थ प्रकट करी तेमने धन्यवाद आपवा साथे आभार मानीए छीए. ता० १-८-८५ शाक मार्केट सामे. जामनगर (सौराष्ट्र) ली०मेहता मगनलाल चत्रभुज मुद्रकगौतम आर्ट प्रिन्टर्स, नेहरु गेट बहार, ब्यावर (राज.)
SR No.022604
Book TitleChatusharan Prakirnakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1985
Total Pages56
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_chatusharan
File Size4 MB
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