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________________ दसवेआलियसुत्तं. अज्झयण १० तहेव असणं पाणगं वा विविहं खाइम साइमं लभित्ता। . 'होही अठो सुए परे वा तं न निहे न निहावए जे स भिक्खू ॥८॥ तहेव असणं पाणगं वा विविहं खाइमसाइमं लभित्ता। छंदिय साहम्मियाण मुंजे भोच्चा सज्झायरए य जे स भिक्खू ॥९॥ न य वुग्गहियं कहं कहिज्जा __ न य कुप्पे निहुइंदिए पसंते। संजमधुवजोमजुत्ते __उवसंते अविहेडए जे स भिक्रवू ॥१०॥ जो सहइहु गामकण्टए __ अक्कोसपहारतज्जणाओ य । भयभरवसद्द सप्पहासे __समसुहदुक्खसहे य जे स भिक्रवू ॥११॥ पडिमं पडिवज्जिया मसाणे नो भाए भयभेरवाई दिस्स। विविहगुणतवोरए य निच्चं न सरीरं चाभिकंखइ जे स भिकरवू ॥१२॥ असई वोसठ्ठचत्तदेहे अक्कुठे व हए व लूसिए वा। पुढविसमे मुणी हवेज्जा ___ अनियाणे अकोउहल्ले य जे स भिक्खू ॥१३॥ अभिभूय काएण परीसहाई समुद्धरे जाइपहाउ अप्पयं। विइतु जाईमरणं महब्भयं तवे रए सामणिए जे स भिक्रवू ॥१४॥ १ ख. होहिइ अट्ठो सए परे वा. २ क. ह काम. ३ अ. क. भीए; ख. च. मायए. अ. क. अकोउहल्ले जे. ५ ख. महाभयं. ६ च. सामाणिए स.
SR No.022603
Book TitleDasaveyaliya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK V Abhyankar
PublisherK V Abhyankar
Publication Year1938
Total Pages190
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size15 MB
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