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________________ ४४ जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला अज्झयण -२ एवायरिओ सुयसीलबुद्धिए विरायई सुरमज्झे व इंदो ॥ १४ ॥ जहा ससी कोमुइजोगजुत्तो नक्वत्ततारागणपरिवुडप्पा । खे सोहइ विमले अब्भमुक्के एवं गणी सोहइ भिक्खुमज्झे ॥ १५ ॥ महागरा आयरिया महेसी समाहिजोगे सुयसीलवुद्धिए । संपाघिउकामे अणुत्तराई आराहए तोसए धम्मकामी ॥ १६ ॥ सोच्चाण मेहावि सुभासियाई सुस्सूसए पायरियऽप्पमत्तो। आराहइत्ताण गुरणे अणेगे सो पावई सिद्धिमणुत्तरं ॥ १७ ॥ त्ति बेमि ॥ ॥ णवमअज्झयणस्स विणयसमाहीए पढमो उद्देसो समत्तो॥ ॥णपममझयणं-बीओ उद्देसो॥ मूलाओ खंधष्पभवो दुमस्स खंधाउ पच्छा समुवेति साहा। साहप्पसाहा विरुहंति पत्ता तो से पुप्फ च फलं रसोय ॥१॥ एवं धम्मस्स विणओ मूलं परमो से मोक्खो। जेण कित्तिं सुयं सिग्धं निस्सेसं चाभिगच्छइ ॥२॥ जे य चंडे मिए थद्ध दुव्वाई नियडी सढे। वुज्झइ से अविणीयप्पा कटुं सोयगय जहा ॥३॥ विणयं पि जो उवाएण चोइओ कुप्पइ नरो। . दिव्वं सो सिरिमेज्जन्ति दंडेण पडिसेहए ॥४॥
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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