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________________ २०८] [ जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला दुवियड्डा जहा-नय कथइ निम्माअो न य पुच्छइ परिभवस्ल दोसेगां । वस्थिव्व वायपुराणो फुट्टइ गामिल्लयवियड्ढो'४ (सूत्र) नाणां पंचविहं पराणत्तं, तंजहा--आभिणि बोहियनाणं, सुयनाणं, ओहिनाणं, मणपजवनाणं, केवलनाणं ।।सू० ।। तं समासो दुविहं परणतं, तंजहा-पञ्चक्खं च परोक्खं च ॥सू० २॥ __ से किं तं पञ्चक्खं ? पञ्चक्खं दुविहं पगणतं, तंजहाइंदियपञ्चक्खं, नोइंदियपच्चक्खं च ।।सू० ३॥ से किं तं इंदियपञ्चक्खं ? इन्दियपच्चक्खं पंचविहं पराणत्तं तंजहा-सोइन्दियपञ्चक्खं, चक्खिदियपञ्चक्खं, घाणिदियपञ्चक्खं, जिभिदियपच्चक्खं, फासिंदियपच्चक्खं,से तं इंदियपञ्चक्खं । सू० ४॥ से किं तं नोइन्दियपच्चक्खं ? नोइन्दियपच्चक्खं तिविहं पएणतं तंजहा-ओहिनाणपञ्चक्खं, मणपजवनाणपञ्चक्खं, केवलनाणपञ्चक्खं ॥सू० ५॥ से किं तं ओहिनाणपञ्चक्खं ? अोहिनाण पञ्चक्खं दुविहं पराणत्तं, तंजहा-भवपञ्चइयं च खाओवसमियं च ॥सू० ६।। से किं तं भवपच्चइयं ? भवपच्चइयं दुराहं, तंजहा-देवाण य नेरइयाण य ॥सू० ७॥ से किं तं खओवस मियं ? खोवसमियं दुण्हं, तंजहामणूसाण य पंचेंदियतिरिक्खजोणियाण य । को हेऊ खओव १. दुध्वियड्दो ।
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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