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________________ श्रीउत्तराध्ययन सूत्र ] निमन्तिया [ १०५ य भोगेहिं, तं सव्वं मरिसेहि मे ॥५७॥ एवं थुणित्ताण स रायसीहो, अणगारसीहं परमाइ भत्तिए । सओरोहो सपरियणो सबन्धवो, धम्मापुरत्तो विमलेरा चेयसा ॥५८॥ ऊस सियमकुवो, काऊ‍ य पयाहिणं । अभिवन्दिऊण सिरसा, अश्याओ नराहिवो ॥५९॥ इयरो वि गुणसमिद्धो, तिगुत्तिगुत्तो तिदण्डविरओ य । इव विप्पमुको, विहग विहरs सुहं विगयमोहो ॥ ६० ॥ त्ति बेमि || महानियंठिज्जं समत्तं ॥ ॥ श्रह समुहपालीयं एगवीसइमं अभयणं ॥ चम्पाए पालिए नाम, सावए श्रासि वाणिए । महावीरस्स भगवओ, सीसे सो उ महन्वणो ॥ १ ॥ निग्गन्थे पावणे, सावए से वि कोविए । पोपण ववहरन्ते, पिण्डं नगरमा गए ||२|| पिहुण्डे ववहरन्तस्स, वाणिश्रो देइ धूयरं । तं ससत्तं पइगिज्झ, सदेसमह पत्थिओ ॥ ३॥ अह पालियस्स घरिणि, समुद्दम्मि पसवइ । अह बालए तहिं जाए, समुद्दपालि त्ति नामए || ४ || खेमेण आगए चम्पं, साविए वाणिए घरं । संवई तस्स घरे, दारए से सुहोइए || ५ ||
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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