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________________ ३८ ] तओ कम्मगुरु जंतू, पच्चुष्पन्नपरायणे । wear गयापसे, मरणंतम्मि सोयह ॥६॥ त उपरिक्खीणे, चुयदेहा विहिंसगा । [ जीवन - श्रेयस्कर - पाठमाला मुरीयं दिसं बाला, गच्छति अवसा तमं ॥१०॥ जहा कागिणिए हेउ, सहस्सं हारए नरो । अपत्थं अम्बगं भोच्चा, राया रजं तु हारए ॥११॥ एवं माणुसगा कामा, देवकाप्राण अंतिए । सहस्स गुणिया भुज्जो, श्राउं कामा य दिग्विया ॥ १२ ॥ अगवासानउया, जा सा पनवो ठिई । जाणि जयंति दुम्मेहा, ऊणे वासस्याउए || १३|| अहाय तिनि वणिया, मूलं घेत्तूण निग्गया । एगोऽत्थ लहर लाभं एगो मूले गओ || १४ || एगो मूलं पि हारिता, आगओ तत्थ वाणि I मूलच्छे जीवाणं नरगतिरिक्खत्तरां धुवं ॥ १६ ॥ दुहओ गई बालस्स, आवईवहमूलिया । देवत्तं माणुसत्तं च, जं जिए लोलयासढे ||१७|| तो जिए सई दोह, दुविहं दुग्गइं गए । दुल्लहा तस्स उम्प्रग्गा, श्रद्धाए सुचिरादवि ॥१८॥ एवं जियं सपेहाए, तुलिया बालं च पण्डियं । मूलियं ते पवेसन्ति, माणुसिं जोणिमेन्ति जे ||१९|| मायाहिं सिक्खाहिं, जे नरा गिहिसुव्वया । उत माणूस जोणि, कम्पसच्चा हु पाणि| ||२०|| जे सिं तु विडला सिक्खा, मूलियं ते श्रइच्छिया । सीलवन्ता सविसेसा, श्रदीणा जंति देवयं ॥ २१ ॥ एवमदीवं भिक्खू, श्रगारिं च वियाणिया । कहर जिश्वमेलिक्खं, जिच्चमाणे न संविदे ||२२||
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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