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________________ ३४] [जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला तत्थोषवाइयं ठाणं, जहा मे तमगुस्सुयं । प्रहाकम्मेहिं गच्छन्तो, सो पच्छा परितप्पइ ।।१३।। जहा सागडिओ जाणं, समं हिचा महापहं । विसमं मग्गमोइण्णो, अक्खे भगाम्मि सोयई ॥१४॥ एवं धम्मं विउक्कम्प, अहम्म पडिवजिया। बाले मच्चुमुहं पत्ते, अक्खे भग्गे व सोयई ।।१५।। तो से मरणन्तम्मि, बाले संतसई भया। अकाममरणं मरइ, धुत्ते व कलिणा जिए ॥१६।। एयं प्रकाममरण, बालाणं तु पवेइथं ।। इत्तो सकाममरणं, पण्डियाणं सुणेह मे ॥२७॥ मरणं पि सपुराणा, जहा मेयमणुस्सुयं । विप्पसरणमणाघायं, संजयाण वुसीमओ ॥१८॥ न इमं सव्वेसु भिक्खूसु, न इम सब्वेसुगारिसु । नाणासीला अगारत्या, विसमसीला य भिक्खुणो ॥१६॥ सन्ति एगेहिं भिक्खूहि, गारत्था संजमुत्तरा। गारत्थेहि य सम्वेहि, साहवो संजमुत्तरा ॥२०॥ . चीराजिणं नगिणिणं, जड़ी संधाडिमुण्डि । एयाणि वि न तायंति, दुस्सीलं परियागयं ॥२१॥ पिंडोलएव दुस्सीले, नरगाओ न मुच्चइ । मिक्खाए वा गिहत्थे वा, सुव्वए कम्मा दिवं ।।२२।। अगारिसामाइयंगाणि, सड्ढी कारण फासए । पोसहं दुहओ पक्खं, एगरायं न हावए ।॥२३॥ एवं सिक्वासमावन्ने, गिहवासे वि सुब्बए। ... मुच्चइ छविपवाओ, गच्छे जखमलोगयं ॥२४॥ अह जे संवुडे भिक्खू , दोएहं अन्नयरे सिया। सव्वदुक्खपहीणे वा, देवे वावि महिड्ढीए ॥२५॥
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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