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________________ निवेदन। - प्रसिद्ध जैन ऐतिहासज्ञ-श्री० बाबू कामताप्रसादनी जैन (आ० संपादक-"वीर" )ने जिसप्रकार आधुनिक शैलीपर तुलनात्मक दृष्टिसे भगवान महावीर, भ० महावीर व बुद्ध, संक्षिप्त जैन इतिहास भादि ग्रंथोंका अतीव खोन व मननपूर्वक संपादन किया है उसीप्रकार प्रस्तुत ग्रन्थका संपादन भी आपने कई वर्षों की खोजपूर्वक करके दिगम्बर जैन इतिहासमें अमर नाम प्राप्त करलिया है; क्योंकि ऐसे तो अनेक तीर्थंकरोंके चरित्र प्रकट होचुके हैं व होंगे परन्तु जिस ढंगपर आप इन ग्रंथों का संपादन कररहे हैं वह जैनइतिहासका अभूतपूर्व मसाला ही है। हर्ष है कि आपके अन्य ऐतिहासिक अन्योंके अनुसार इस महान ग्रन्थका प्रकाशन भी आज हो रहा है व "दिगम्बर जैन के ग्राहकोंको उपहारमें भी दिया जाचुका है जिससे इसका प्रचार सुलभतासे होरहा है। हमारे परम मित्र बाबू कामताप्रसादजी अपनी ऐसी अमूल्य कति हमें प्रकाशनार्थ देते रहते हैं उसके लिये आपके हम बड़े कृतज्ञ हैं। हमारी यही भावना है कि आप ऐसे और भी अनेक ग्रन्थों की रचना करके अभूतपूर्व जैन साहित्यका विशेष २ प्रकाश करें। प्रकाशक।
SR No.022599
Book TitleBhagawan Parshwanath Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1931
Total Pages302
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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