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________________ १४८] भगवान पार्श्वनाथ । नागकुमारका नागवंशी होना प्रकट है । हिन्दुओंके विष्णुपुराणमें नौ नागराजाओंमें भी एकका नाम नागकुमार है (I. H. Q. II. 189.) 'द्वादशीव्रत कथा' से भी यही बात प्रमाणित है। वहां कहा गया है कि मालवा देशके पद्मावतीनगरका राजा नरब्रह्मा था, जिसकी विनयावती रानीसे शीलावती नामक कुबड़ी कन्या थी । श्रमणोतम मुनिरानसे पूर्वभव सुनकर उसने द्वादशीव्रत किया था। उसके दो पुत्र अर्ककेतु और चन्द्रकेतु थे। अर्ककेतु प्रख्यात् राजा बतलाया गया है, अन्तमें इन सबके दीक्षा लेनेका जिकर है।' इस कथाके व्यक्ति नागलोग ही मालूम होते हैं, क्योंकि पद्मावतीनगर नागराजाओंकी राजधानी था। यहां गणपतिनागके सिक्के मिले हैं। साथ ही कतिपय 'वर्मातनामवाले' राजाओंके तीन शिलालेख ग्वालियर रियासतसे मिले हैं । इन रानाओंमें एक राजा नरवर्मा नामक भी है, यह सिंहवर्माका पुत्र है, परन्तु अभीतक इनके वंशादिके विषयमें कुछ पता नहीं चला है । उपरोक्त कथाके राजा नरब्रह्मा और इन नरवर्माक नाममें बिल्कुल सादृश्यता है तथापि इनकी राजधानी जो पद्मावती बताई है, वह भी ग्वालियर रियाससमें है । इसलिये इनका एक व्यक्ति होना बहुतकरके ठीक है। किन्तु इनके नागवंशी होनेके लिए सिवाय इसके और प्रमाण नहीं है कि इनकी राज्यधानी पद्मावतीमें उस समय नागरानाओंका ही राज्य था और इतिहाससे इनके वंशादिका पता चलता नहीं, इस १-जैनव्रतकथासंग्रह पृष्ठ १४८-१५१। २-राजपूतानेका इतिहास प्रथम भाग फुटनोट पृष्ठ ११. और पृ. २३० । ३-मध्यभारत, मध्यप्रांतके प्राचीन जैन स्मारक पृ० ६९। ४-राजपूतानेका इतिहास प्र. १२५-१२६ ।
SR No.022598
Book TitleBhagawan Parshwanath Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1928
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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