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________________ बनारस और राजा विश्वसेन । [ १०५ काशीके योद्धा बड़े वीर और बलवान होते थे यह 'सतपथ ब्राह्मण' के एक कथनसे प्रमाणित है । वहां राजा जनकके दरबार में याज्ञवल्क्य एवं अन्य ऋषियोंके मध्यवर्ती संवादमें गार्गी यह कहती है कि मैं उसी तरह केवल दो प्रश्न पूछूंगी जिस तरह काशी अथवा विदेहोंके योद्धा अपने तरकसको संभालते हुए धनुषपर शत्रु भेदी दुफला बाण चढ़ाकर संग्रामके लिए उद्यमी होते हैं। इन वीर योद्धाओं से परिपूर्ण काशीका राज्य भगवान पार्श्वनाथके समय अवश्य ही विशेष प्रख्यात् था । मद्रदेश (पंजाब) के मद्रवंशीय क्षत्रियोंसे भी इस राज्यका प्राचीन सम्बन्ध था और नागवंशी राजा भी यहांके राजाको अपने नागभवनमें बड़े आदर से लेगये थे । भगवान पार्श्वनाथके समय काशी और उनकी राजधानी वाराणसी बहुत ही विख्यात् थे, यह हम देख चुके हैं । वाराणसीमें बड़े२ ऊंचे भव्य जिनमंदिर और सुन्दर कई कई खनके राजमहल अपूर्व शोभा देते थे ।" वहांके बाजार सर्व प्रकारकी वस्तुओं से परिपूर्ण थे । जौहरी लोग करोड़ों रुपयोंका व्यापार प्रतिदिवस किया करते थे। स्त्री और पुरुष भी बड़े ही शिष्ट और धर्मवत्सल थे । इसी कारण वहां हर कोई सुखी सुखी कालयापन करता था । किसी को सहसा यही नहीं मालूम होता था कि संसारमें दुःख भी कोई वस्तु है । उन लोगोंके पुण्य - प्रभावसे नगर भी खूब उन्नतिको प्राप्त था और राजा भी उन्हें न्यायनिपुण, बुद्धिमान और प्रजाहितैषी १ - सम क्षत्रिय ट्राइव्स इन एशि० इन्डियां पृ० १३६ । २ - पूर्व पुस्तक पृ० २२३ । ३ - पूर्व पृष्ठ २४१ । ४- लाला लाजपतराय अपने ' भारतवर्षके इतिहास (भाग १ पृ० ११६) पर लिखते हैं कि ईसा से पूर्व ८०० से भारतमें ७-८ खनके मकान बनने लगे थे । 2
SR No.022598
Book TitleBhagawan Parshwanath Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1928
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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