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________________ बनारस और राजा विश्वसेन । [१०३ कहे गये हैं। उपरोक्त 'दुम्भेध जातक' में भी ब्रह्मदत्त राजाके ब्रह्मदत्त कुमारका जन्म होना लिखा है । संभव है कि जैनशास्त्रके ब्रह्मदत्तको लक्ष्य करके ही उक्त कथन हो। इसके साथ ही बौद्धोंकी कथाओंसे यह भी प्रगट होता है कि काशी और कौशल देशोंमें पारस्परिक मनमुटाव भी चला आ रहा था। कभी काशीकी विनय होनाती थी तो कभी कौशल की ! संभवतः इसी कारण वैदिक साहित्यमें 'काशी-कौशल' का एकत्रित उल्लेख कईवार हुआ मिलता है । एक जातकमें कहा गया है कि एकदा बनारसके रानाने कौशलपर चढ़ाई कर दी और कौशलके राजाको मारकर वह उसकी रानीको अपनी स्त्री बनानेके लिये ले आया, पर कौशलका युवराज किसी तरह बच गया । उसने कालांतरमें काशीपर धावा कर दिया। अपनी माताके गुप्त आदेशसे वह काशीका घेरा डालकर बैठ गया । परिणामतः काशीकी प्रजा घवड़ा गई । उसने राजाको प्राण रहित कर दिया और युवराजको राजा बना लिया। ऐसे ही एक दूसरे जातकमें लिखा है कि बनारसके रानाके एक मंत्रीने अन्तःपुरमें कोई अनुचित्त कार्य किया जिसके कारण राजाने उसे राज्य बाह्य कर दिया। वह कौशल पहुंचा और वहांके रानाको काशीपर चढ़ा लाया, पर अन्ततः कौशलके राजाने इनसे क्षमा याचना की और जो राज्य ले लिया था वह वापिस दिया, तथापि मंत्रीको काशीरानके सुपुर्द कर दिया। इसी तरह १-पद्मपुराण पृ० ३३२ । २-इन्डियन हिस्टॉरीकल क्वार्टरली भाग १ पृ. १५४ । ३-कॉवेल, जातक, भाग १ पृ. २४३। ४-पूर्व० पृ०. १२८-१३३ ।
SR No.022598
Book TitleBhagawan Parshwanath Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1928
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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