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________________ ३.बृहत्कल्प-जेमां स्थविरकल्प अने जिनकल्प पाळवानो आचार छे. उद्देश ३४ छे. मूळ श्लोक ४७३. वि. सं. १३३२मां बृहच्छाखीय श्रीक्षेमकीर्तिसूरिकृत टीका ४२००० श्लोकप्रमाण छे. बृहद्भाष्य १२००० अने लघुभाष्य ८००० श्लोक, छे. चूर्णि १४५२५ श्लोकप्रमाण छे. ४. व्यवहारसूत्र-आलोयण-प्रायश्चित संबंधी अधिकार छे. उद्देशा १०, मूळ श्लोक ६००, श्रीमलयगिरिजीकृत टीका ३३६२५ श्लोकप्रमाण छे. भाष्य ६००० अने चूर्णी १०३६१ श्लोकप्रमाण छे. ५. निशीथ-जे मुनिओ साध्वाचारथी च्युत थाय तेनी शिक्षा संबंधी आ सूत्रमा अधिकार छे. उद्देशक २०, मूळ श्लोक ८१५, मोटुं भाष्य १२००० श्लोक-अने लघुभाष्य ७४०० श्लोकछे. चूर्णी २८००० श्लोकप्रमाण छे. ६. महानिशीथ - जिनमंदिर तथा जिनप्रतिमा, अछाई महोत्सव, अनुकंपा विगेरेने लगता शिक्षा- उपदेश संबंधी मोटा सूत्रोनुं सविस्तर वर्णन छे. अध्ययन १३, मूळ श्लोक ४५००. मतांतरे तेनी त्रण प्रकारनी वाचना छे. लघुवाचना४२००, मध्यमवाचना ४५०० अने बृहद्वाचना ११८०० श्लोकप्रमाण छे. ७. ऋषिभाषित- श्रीनेमिनाथना समयना २०, श्रीपार्श्वनाथना समयना १५ अने श्रीमहावीर परमात्माना समयना १०-कुल ४५ ऋषिओनुं वर्णन छे. ८. जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति - जंबूद्वीप संबंधी भौगोलिक वर्णन छे. मूळ श्लोक ४१४६, श्रीमलयगिरिजीकृत टीका १२००० श्लोकनी अने चूर्णी १८६० श्लोकनी छे. ९. चंद्रप्रज्ञप्ति-चंद्रनो चार (गति) अने मांडला संबंधी अधिकार छे. मूळ श्लोक २२००. श्रीमलयगिरिजीकृत टीका ९४११ श्लोकनी छे ज्यारे लघुटीका १००० श्लोकप्रमाण छे. १०.द्वीपसागरप्रज्ञप्ति-तेमां अनेक द्वीप अने समुद्र संबंधी वर्णन छे. आ उपरांत मानुष्योत्तर पर्वत, नंदीश्वरद्वीप, रुचकद्वीप इत्यादि पर रहेल जिनमंदिरोनुं वर्णन आपवामां आव्युं छे. ११. क्षुद्रिकाविमानप्रविभक्ति -जेमां समश्रेणिए रहेला विमान अने छूटा विमाननुं अल्पसूत्रार्थद्वारा वर्णन करेल छे. १२. महतीविमानप्रविभक्ति- जेमा उपर्युक्त विमानोनुं विस्तृत सूत्रार्थथी विवेचन करवामां आव्युं छे. १३. अंगचूलिका- आचारांगादि जे अंगो छे तेनी चूलिका ते अंगचूलिका, आ चूलिकामां अंगमां जे का छे तेनो तेमज जे कहेल नथी ते सर्वनो संग्रह छे. १४. वर्गचूलिका - वर्ग एटले अध्ययन. आमां अष्टवर्गादिक अध्ययननो संग्रह करवामां आव्यो छे. १५. विवाहचूलिका-श्रीभगवती सूत्रनी (विवाहप्रज्ञप्तिनी) चूलिका छे. श्रीगच्छाचार-पयन्ना- २१
SR No.022586
Book TitleGacchayar Ppayanna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayrajendrasuri, Gulabvijay
PublisherAmichand Taraji Dani
Publication Year1991
Total Pages336
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gacchachar
File Size31 MB
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