SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 332
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ते गच्छमां श्रेष्ठ चारित्रने पाळनारा घणा आचार्य थई गया. तेओनीज परंपरामा ‘तपस्वी' एटले तप बिरुदवाळा, विश्वने विषे सौभाग्यशाळी, तपगच्छरूपी गगनप्रदेशमां चंद्रनी जेम प्रकाशित श्रीजगच्चंद्रसूरि थया. त्यार बाद केटलाक पट्टधरो थया. बाद यवनराज (मोगल शहेनशाह अकबर) ने प्रतिबोध देनार श्रीविजयहीरसूरीश्वर थया. २ __त्यारबाद केटलाक पट्टधरो थया पछी साक्षात देवसमान स्वरूपवाळा श्री विजयदेवसूरि थया. तेमनी पाटे सकल मतोने जाणनार अने यक्षराजोथी पूजायेल श्रीविजयरत्नसूरि थया. तेमना पाटे निर्मळ चारित्रवाळा, विविध प्रकारनी तपश्चर्या करनारा शिष्य श्रीविजयक्षमासूरि थया. तेमनी पाटे लोको ऊपर प्रभाव पाडनारा, सुविहितोमा अग्रणी पंडित श्रीविजयदेवेन्द्रसूरि थया. ३ । त्यारबाद मोहराजानो पराभव करनार (निर्मोही) श्रीविजयकल्याणसूरि थया. तेमनी पाटे साधुगुणरूप संपत्तिथी विभूषित श्रीविजयप्रमोदसूरि थया. ४ ते श्रीविजयप्रमोदसूरिजीना शिष्य आचार्य श्रीविजयराजेन्द्रसूरि थया जेमणे समस्त लोकना बोधने माटे आ गच्छाचार प्रकीर्णकनुं विवरण कर्यु के जे सज्जन पुरुषोंना हृदयमां संचार पामो-सारी रीते प्रवेश पामो.५ आ ग्रंथ- वाचनाचार्य बुद्धिमान् श्रीधनविजयादि मुनिवर्गे संशोधन कर्यु छे, तो पण दोष निकालवामां अने दोषोनी स्थापना करवामां पण चतुर अने सिद्धांतोने जाणनारा एवा विज्ञ पुरुषोए आ ग्रन्थमां कंई.पण स्खलना-दोष जणाय तो सुधारी लेवा कृपा करवी. ६ _ वि. सं. १९४४ ना पौष शुदि पांचम ने सोमवारना दिवसे आ सुंदर भाषाग्रंथ पूर्ण करवामां आव्यो. ७ आग्रंथ, प्रूफ आदि संशोधन करवामां तेमज मुद्रणकार्य कराववामां श्रीगुलाबविजयादि चार मुनिवरोए सारो प्रयास करेल छे. ८ संवत् २००२ ना वैशाख मासमां श्रीअर्बुदाचल ऊपर विराजमान आदितीर्थपति भगवान श्रीआदिनाथजीनी कृपाथी तेमनी यात्रामा ज आ ग्रंथ- मुद्रणकार्य संपूर्ण थयुं छे. ९ इति श्रीगच्छचारप्रकीर्णस्य टीकानुसारेण श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरिणा भाषा कृता वाच्यमाना श्रेयस्करी भूयात् ।। सर्वत्र श्रीशुभं भवतु ॥ श्रीगच्छाचार-पयन्ना- ३१७
SR No.022586
Book TitleGacchayar Ppayanna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayrajendrasuri, Gulabvijay
PublisherAmichand Taraji Dani
Publication Year1991
Total Pages336
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gacchachar
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy