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________________ कहे छे – जेम वायु ने आपणे जोई शकता नथी छतां स्पर्श लागवाथी जाणी शकीए छीए के वायु छे तेमज्ञानादिक गुणोए करीने जीव जाणी शकाय छे. (१२) जीव अतींद्रिय छे एटले नेत्रथी जोवामां न आवे परंतु केवळी भगवंत तथा ज्ञानी साधु तेना स्वरूप ने जाणे- देखे छे तेथी ते प्रत्यक्ष सिद्ध छे. आपणी तो चर्मचक्षु छे तेथी आपणे जीव ने प्रत्यक्ष जोई शकीए ज नहिं, पण अनुमान थी जाणी शकाय. (१३) जेओ आ प्रमाणे जीवनी मान्यता स्वीकारता नथी ते नास्तिकवादी छे. हजी पण विशेष पुष्टि माटे संपूर्ण जीवस्थापन - कुलक जणावे छे जीवो अणाइनिहणो, अविणासी अक्खओ धुवो निच्चम् । दव्वट्टयाइनिच्चो, पारियायगुणेहि य अणिच्चो ॥१ ॥ जह पंजराउ सउणी, घडाउ बयराणि कंचुआ पुरिसो । एवं न चेव भिन्नो, जीवो देहाउ संसारी ॥ २ ॥ जह खीरोदगतिलतिल्ल कुसुमगंधाण दीसइ न भेओ । तह चेव न जीवस्सवि, देहादच्चंतिओ भेओ ॥३ ॥ संको अविकोएहि अ, जहक्कमं देहलोअमित्तो वा । हथिस्स व कुंथुस्स व, पएससंखा समा चेव ॥४॥ कालो जहा अणाई, अविणासी होइ तिसु वि कालेसु । तह जीवो वि अणाई, अविणासी तिसु वि कालेसु ॥ ५ ॥ गयणं जहा अरुवी, अवगाहगुणेण घिप्पई तं तु । जीव हा अरुवी, विन्नाणगुणेण घित्तव्व ॥ ६ ॥ जह पुढवी अविणट्ठा, आहारो होइ सव्वदव्वाणं । तह आहारो जीवो, नाणाईणं गुणगणाणं ॥ ७ ॥ अक्खयमणंतमउलं, जह गयणं होइ तिसु वि कालेसु । तह जीवो अविणासी, अवट्ठिओ तिसु वि कालेसु ॥८ ॥ जह कणगाओ कीरंति, पज्जवा मउडकुंडलाईया | दव्वं कणगं तं चिय, नामविसेसो इमो अन्नो ॥ ९ ॥ एवं चउग्गईए, परिब्भमंतस्स जीवकणगस्स । नामा बहुविहाई, जीवदव्वं तयं चेव ॥ १० ॥ जह कम्मयरो कम्मं, करेइ भुंजेइ सो फलं तस्स । तह जीवो वि अ कम्मं, करेइ भुंजेइ तस्स फलम् ॥११॥ उज्जोवेडं दिवसं, जह सूरो वच्चई पुणो अत्थं । नय दीसइ सो सूरो, अन्नं खित्तं पयासंतो ॥ १२ ॥ श्रीगच्छाचार - पयन्ना— २१४
SR No.022586
Book TitleGacchayar Ppayanna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayrajendrasuri, Gulabvijay
PublisherAmichand Taraji Dani
Publication Year1991
Total Pages336
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gacchachar
File Size31 MB
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