SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ छट्ठी दशानी विगत श्रावकनी ११ प्रतिमानुं स्वरुप पांचमी पडिमामां उपर कहेल बीना बधी करे. स्नाननो त्याग, . रात्रिभोजननो त्याग, काछडो वाले नहि, दिवसे ब्रह्मचारी, रात्रिनुं प्रमाण राखे, एवी रीते एक दिवस-बे दिवस-त्रण दिवस उत्कृष्टथी पांच महिना सुधी पालन करे. छट्ठी पडिमामां उपरोक्त बीना बधी करे. वधारामां अहोरात्र ब्रह्मचर्य पाले, सचित पाणी-कंदमूल विगेरेनो त्याग न होय एवी रीते एक दिवसथी यावत् छ महिना सुधी पालन करे. सातमी पडिमामां उपरोक्त हकीकतमां वधारे सचित्तनो त्याग पण आरंभनो त्याग नहि. एवी रीते जघन्यथी एक दिवस अने उत्कृष्टथी सात मास सुधी पालन करे. आठमी पडिमामां उपरोक्त हकीकत बधी ज करे पण रसोई कराववानो त्याग न करे. बीजा आरंभनां पच्चक्खाण करे. एवी रीते एक दिवसथी मांडीने आठ मास सुधी पालन करे. नवमी पडिमामां उपरोक्त हकीकतमां उद्देशिक आहारनो त्याग न करे पण बीजा बधा आरंभनो त्याग करे. एक दिवसथी मांडीने नव मास सुधी पालन करे. दशमी पडिमामां क्षुरमुंडन करावे, चोटली राखे, वळी कोई बोलावीने पूछे तो जाणतो होय तो कहे, न जाणतो होय तो ना कहे. बीजुं बधुं पूर्ववत् वधारामां उद्देशिक आहारनो त्याग करे. जघन्यथी एक दिवस अने उत्कृष्टथी दश मास सुधीनुं पालन करे. अगियारमी पडिमामां घरथी नीकळी मस्तक मुंडावे अथवा लोच करे, आचार योग्य उपकरणो ग्रहण करे. साधुलिंग, रजोहरण, पात्रादि अथवा एम करवा समर्थ न होय तो साधु सरखी क्रिया करनारो थाय. जेमके इरियासमितिए चाले, चालतां जीवो यतना राखे, भिक्षाए जतां धर्मलाभ न कहे, कोई स्त्रीपुरुष पूछे के तमे कोण छो त्यारे कहे के हुं श्रमणोपासक छं, पडिमाने धारण करुं छं तेम ज विधिनो बराबर ज्ञाता होय. भिक्षामां पूर्वे चोखानुं पाणी तैयार थयुं होय, पछी शाक तैयार थयुं होय तो शाक न कल्पे पण पाणी कल्पे. जो पहेलां शाक तैयार थयुं होय, पछीथी चावलनुं पाणी तैयार थयुं होय तो शाक कल्पे पण पाणी न कल्पे. जो पूर्वे बन्ने तैयार थयां न होय अने पाछळथी तैयार थतां होय तो बन्ने न कल्पे. एवी रीते उपरोक्त पडिमामां बतावेल आचरण సతతతతత XII సరరరరర bod ఉంటదీ.
SR No.022580
Book TitleDashashrut Skandh Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKulchandrasuri, Abhaychandravijay
PublisherJain Shwetambar Murtipujak Sangh
Publication Year2007
Total Pages174
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashashrutaskandh
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy