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________________ अज्जिए पज्जिए वा वि, अम्मो माउसिअत्ति । पिउस्सिए भायणिज्जत्ति, धुए ण तुणिअत्ति अ॥१५॥ हले हलित्ति अग्नित्ति, " भट्टे सामिणि गोमिणि। होले गोले वसुलित्ति, इथिअं नेव मालवे॥१६॥ इसी प्रकार काने को काना, नपुंसक को नपुंसक व्याधियुक्त को रोगी, चोर को चोर न कहें। इससे अप्रीति लज्जानाश, स्थिर रोग ज्ञान विराधना आदि दोष उत्पन्न होते हैं। वचन नियमन संबंधी आचार, चित्त के प्रद्वेष या प्रमाद संबंधी भाव एवं दोष के ज्ञाता बुद्धिमान मुनि पूर्वोक्त एवं दूसरे भी शब्दों द्वारा पर पीडाकारी वचन न बोलें। _ और बुद्धिमान् मुनि मूर्ख, जारपूत्र, कुत्ता, शुद्र, द्रुमक, दुर्भागी ऐसे शब्द भी किसी को न कहें। हे आर्यिके(दादी) हे प्रार्यिके (परदादी) माँ, मौसी, बुआ, भानजी, पुत्री, पौत्री, हले, अली, अन्ने, भट्टे, स्वामिनी, गोमिनी, होले, गोले, छीनालण (वृषले) आदि शब्दों से स्त्री को न बुलाएं। इसमें कितने ही शब्द निंदावाचक हैं कितने शब्द प्रीति उत्पादक हैं। ऐसे शब्दों से निंदा, द्वेष, एवं प्रवचन की लघुता होती है। १२ से १६। . (विशेष-महाराष्ट्र में ‘हले' और “अन्ने" तरुण स्त्री के लिए सम्बोधन शब्द है। लाट देश में उसके लिए हला शब्द का प्रयोग होता था। "भट्टे" पुत्ररहित स्त्री के लिए। “सामिणी"गोमिणी' सम्मान सूचक संबोधन। “होले""गोल""वसुले” गोल देश में प्रयुक्त प्रिय आमंत्रण वचन।) कैसे बुलावें? नाम धिज्जेण गं बूआ, इत्थी गुत्तेण वा पुणो। जहारिहमभिगिझ, आलविज्ज लविज्ज वा॥१७॥ प्रयोजन वश मुनि स्त्री को नाम लेकर बुलावे, गोत्र से बुलावे, यथायोग्य देशकालानुसारी गुण दोष का विचार कर एक बार या बार-बार बुलावें। . . पुरुषों को कैसे न बुलावें कैसे बुलावें ? ' अज्जए पज्जए वा वि, बप्पो चलपिउ ति । माउला भाइणिज्जति, पुत्ते नत्तुणिअ ति अ॥१८॥ हे हो हलि ति अन्नित्ति, भटे सामिअ गोमि। होल गोल वसलि तिं परिसं नेव-मालवे॥१९॥ नामधिज्जेण जं बुआ, पुरिस गुत्तेण वा पुणो। जहारिहमभिगिज्झ, आलविज्ज लविज्ज वा॥२०॥ - श्री दशवकालिक सूत्रम् / ८४
SR No.022576
Book TitleDashvaikalaik Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages140
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size12 MB
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