SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 89
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७४ ] श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रे [ ९।१ * चारित्र तथा तप का विवेचन * ॐ सूत्राणि - सामायिक-छेदोपस्थाप्य-परिहार विशुद्धि-सूक्ष्म संपराय यथाख्यातानि चारित्रम्॥१८॥ अनशनाव + मौदार्यवृत्ति- परिसंख्यान- रस परित्याग-विविक्त-शय्यासन कायक्लेशा बाह्यं तपः॥१९॥ प्रायश्चित्तविनय + वैयावृत्य- स्वाध्याय + व्युत्सर्ग + ध्यानान्युत्तरम्॥२०॥ * हिन्दी पद्यानुवाद - प्रथम सामायिक दूसरा, उपस्थापन छेद से, परिहार शुद्धि जानिये शुभ, चरण तीजा भेद से। चारित्र चौथा नाम निर्मल, सूक्ष्म संपराय है, सब तरह से शुद्ध पंचम, यथाख्यात विख्यात है।। प्रथम अनशन श्रेष्ठ तप है, उनोदरी दूजा कहा, है तीसरा वृत्तिसंक्षेप, रसत्याग चौथा फिर कहा। विवक्तशय्या और आसन, पाँचवा तप है कहा, है षष्ठ कायक्लेश ही षट् बाह्य तप है सर्वहा॥ प्रायश्चित्त प्रथम ख्यात, विनय तप दूजा कहा, वैयावच्च तप तीसरा है, स्वाध्याय निर्मल है अहा। कायोत्सर्ग पंचम तपचरण, ध्यान छठा है कहा, ये षडाभ्यन्तर कहे तप, धारिये नित तप महा॥ * प्रायश्चित्त, विनय, वैयावृत्य, सज्झाय व उत्सर्ग वर्णन * ॐ सूत्राणि - नवचतुर्दश + पंचद्विभेदं यथाक्रमं प्राग ध्यानात्॥२१॥ आलोचन-प्रतिक्रमण + तदुभय + विवेक व्युत्सर्ग + तपच्छेद परिहारोप + स्थानानि॥२२॥ ज्ञान दर्शन चारित्रोपचाराः॥२३॥
SR No.022536
Book TitleTattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 09 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year2008
Total Pages116
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy