SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 263
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सुमधुर प्रवचनकार पू. आचार्यदेव बैंक त्रातत्त्वाचायगमसूत्रम् श्रातत्वाचाधिगमसूत्रम् श्रातत्वाचायगमसूत्रम् श्रातत्त्वाथाधगमसूत्रम् श्रातत्त्वाथ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्य श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वाय श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वाथ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वाथ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वाथ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वाथ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वाथ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वाथ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वाथ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वाथ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वाथ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वाथ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वाथ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वाथ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वाथ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वाथ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वाथ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वाथ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वाथ श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थी श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वा श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वा श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वा श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वा श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वा श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थी श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वा श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थी श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वा श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वा श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वा श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वा श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वा श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्था श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थापि श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् श्रीतत्त्वार्थापि श्रीतत्त्वार्थाशिम श्रीतत्त्वार्थाधिगममत्रम श्रीतत्वार्थाशिरामसर शीतन्नानि श्रीमान श्रीमद् विजय जिनोत्तम सूरीश्वरजी म. (प्रथम फ्लैप का शेष) को आपने विनय में समाविष्ट कर लिया है। तीर्थोद्धार में आपकी रुचि अद्वितीय है। आप कहते हैं- तीर्थ संस्कृति के अनुपम केन्द्र हैं। समाज को सप्तव्यसनों से मुक्त करने हेतु वे कर्मयोगी सतत जागरूक हैं। कवि महर्षि भर्तृहरि के शब्दों में वे 'अलंकरणं भवः' हैं। वे हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत, गुजराती आदि भाषाओं के पण्डित हैं, तथा साहित्यशिरोमणि सहृदय, महर्षि हैं। आपश्री जी की शुभनिश्रा में ११८ जिनमन्दिरों की अंजनशलाका-प्रतिष्ठायें सम्पन्न हुई हैं। करुणासागर को शत-शत प्रणाम। * अलंकरण ॐ १. साहित्यरत्न, शास्त्रविशारद एवं कविभूषण अलंकरण - श्री चरित्रनायक को मुंडारा में पूज्यपाद आचार्य भगवन्त श्रीमद् विजय-दक्ष सूरीश्वरजी म. सा. के वरद हस्त से अर्पित है। २. जैनधर्मदिवाकर - वि. सं. २०२७ में श्री जैसलमेर तीर्थ के प्रतिष्ठा-प्रसंग पर श्रीसंघ द्वारा। ३. मरुधरदेशोद्धारक- वि.सं. २०२६ में रानी स्टेशन के प्रतिष्ठा प्रसंग पर श्रीसंघ द्वारा। ४. तीर्थप्रभावक-वि. सं. २०२८ में श्री चंवलेश्वर तीर्थ में संघमाला के भव्य प्रसंग पर श्री केकड़ी संघ द्वारा। ५. राजस्थान-दीपक-वि.सं. २०३१ में पाली नगर में प्रतिष्ठा प्रसंग पर श्रीसंघ द्वारा। ६. शासनरल - वि.सं. २०३१ में जोधपुर नगर में प्रतिष्ठा-प्रसंग पर श्रीसंघ द्वारा। ७. श्री जैन शासन शणगार - वि.सं. २०४६ मेड़ता शहर में श्री अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रसंग पर।। ८. प्रतिष्ठा शिरोमणि - वि. सं. २०१० श्री नाकोड़ा तीर्थ पर चातुर्मास के प्रसंग पर नाकोड़ा ट्रस्ट मण्डल द्वारा।
SR No.022534
Book TitleTattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 05 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1998
Total Pages264
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy