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________________ ॐ श्रीजिनेन्द्रस्तुति-याचनाष्टकम् 5 जिनेन्द्र ! तमारां दर्शन करवा, श्राव्यो छु अाजे तमारी पासे हुं । भक्तिभावे दोनों हाथ जोड़ीने, सु-स्नेहथी शिर झुकाव हुं ॥ १ ॥ दादा तमारी मनोहर मूर्ति, मुखमुद्राने निहाली रह्यो । निर्विकारी तारा नयनोमांथी, भरतु तेज हुं भीली रह्यो ॥ २ ॥ जन्म हमारो सफल थयो ने, नेत्र हमारा हर्षित थयां ए । प्रभो ! तमारां गातां गुणगणने, जीभ हमारी पवित्र थई ए ।। ३॥ प्रभो तमारी मीठी वाणी सुणतां, तथा तुम वचनामृत पीतां । कान हमारा पावन थया ए, प्रात्मिक आनंद अनुभवतां ए ॥। ४ ॥ थयुं कृतारथ हृदय हमारु, ध्यातां जिनेश्वर ! तुम नामस्मरणनी लय लागी, ने पादस्पर्शनी ना जोवे हमारे सुर-नर ऋद्धि, संसारनी कोई सुख-समृद्धि | करू ं याचना प्रभो ! श्रापनी पासे, सिर्फ लेवा मोक्षसुख ज हांशे ।। ६ ।। ध्यान तमारुं । भंखना जागी ।। ५ ।। भवोभव ए जिनशासन सेवा, मलजो तुम चरणोंनी सेवा | पूर्ण करजो ए आशा मारी देवा ! देजो दासने मोक्षना मेवा ।। ७ ॥ ग्रहूं हूं | नित्य सद्गुरु सेवूं हूँ ।। ८ ।। उपकार आपनो भूलूँ नहीं हूँ, नेमि - लावण्यसूरीश वन्दू हूं, शरण आप दक्ष-सुशील
SR No.022534
Book TitleTattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 05 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1998
Total Pages264
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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