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________________ परिशिष्ट-१ mommmmmmmmmmmmmmmmmmmmmen । * श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रस्य षष्ठाध्यायस्य जैनागमप्रमारणारूप आधारस्थानानि * ॐ षष्ठोऽध्यायः ॥ 卐 मूलसूत्रम् काय-वाङ्-मनः कर्मयोगः ॥ ६-१ ॥ ॐ तस्याधारस्थानम्तिविहे जोएपण्णत्ते। तं जहा-मणजोए, वइजोए, कायजोए । [ श्री व्याख्या प्रज्ञप्ति, शतक १६, उद्दे. १ सूत्र ५६४ ] 卐 मूलसूत्रम् स प्रास्रवः ॥ ६-२॥ * तस्याधारस्थानम् पंच पासवदारा पण्णत्ता। तं जहा-मिच्छत्तं, अविरई, पमाया, कसाया, जोगा। [ श्रीसमवायाङ्ग सूत्र, समवाय ५ ] ॐ मूलसूत्रम् शुभः पुण्यस्य ॥ ६-३ ॥ अशुभः पापस्य ॥ ६-४ ॥ * तस्याधारस्थानम्पुण्णं पावासयो तहा। [श्रीउत्तराध्ययन-२८ गाथा-१४ ] 卐 मूलसूत्रम् सकषायाकषाययोः साम्परायिकर्यापथयोः ॥६-५॥ * तस्याधारस्थानम् जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा वोच्छिन्ना भवन्ति तस्स णं ईरियावहिया किरिया कज्जइ, नो संपराइया किरिया कज्जइ, जस्स णं कोह-माण-माया-लोभावोच्छिन्ना अवोच्छिन्ना भवन्ति तस्स णं संपराय किरिया कज्जइ नो ईरियावहिया।। [श्रीव्याख्याप्रज्ञप्ति शतक-७ उद्दे. १ सूत्र २६७ ]
SR No.022534
Book TitleTattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 05 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1998
Total Pages264
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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